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शिक्षित होकर करें ¨लग भेद को दूर : पांडेय

मधेपुरा । समाज में खासकर अशिक्षितों के बीच में ¨लग भेद है।

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 06:52 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 06:52 PM (IST)

मधेपुरा । समाज में खासकर अशिक्षितों के बीच में ¨लग भेद है। शिक्षितों का यह दायित्व बनता है कि वे इस क्षेत्र में जागरूकता लाकर सामाजिक बदलाव का काम करें - उपरोक्त बातें यहां जिले के सिविल सर्जन से डा. गदाधर प्रसाद पांडेय ने जागरण पहल व महिला विकास निगम द्वारा स्थानीय पार्वती विज्ञान कॉलेज में आयोजित सपनों को चली छूने कार्यक्रम में शनिवार को कही।

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उन्होंने कहा कि समाज में अभी भी कई वर्जनाएं हैं जिन्हें स्वस्थ्य शरीर और स्वच्छ मन से साफ करने की जरूरत है। ¨लग भेद जहां कहीं है तो उसे स्त्री पुरूष मिलकर ही हटा सकते हैं। आगे आने वाली पीढ़ी में जागरूकता आई है। अब जागरूक लोगों का क‌र्त्तव्य बनता है कि वे इस पैगाम को समाज के अंतिम छोड़ तक पहुंचावें।

प्रधानाचार्य डा. राजीव कुमार ने कहा कि बेटी और बेटा एक समान हैं और सही अभिभावक दोनों को एक ही नजर से देखते हैं। कतिपय समाज में आ भी जो ¨लग भेद हैं उसे शिक्षित समाज प्रयास करे हटावें। जागरण पहल का यह कार्यक्रम निश्चय ही ¨लग भेद को मिटाने के लिए एक बड़ा वर्ग तैयार कर रहा है।

जिप अध्यक्ष मंजू देवी ने उपस्थित छात्राओं को कहा कि वे सही और गलत का फर्क करना सीखें। जहां कहीं जिज्ञासा या शंका हो तो फिर अपने अनुभवी अभिभवकों से परामर्श लेकर कार्य करें। हम महिलाएं आगे बढ़कर बेटा और बेटी में फर्क करना छोड़ दें तो फिर इस समस्या का स्वाभाविक निदान हो जायेगा। जहां कहीं लगे कि महिलाओं पर जुल्म हो रहा है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है तो फिर इसके निराकरण के लिए वातावरण बनाने की कोशिश करें।

पुलिस इंस्पेक्टर प्रमिला कुमारी ने कहा कि जब कभी आप अपने आस पास महिला उत्पीडऩ, ¨हसा या अत्याचार और छेड़खानी देखती या स्वयं सहन करती है तो फिर फौरन उसका विरोध करें और महिला थाना को खबर करें। सरकार ने महिला थाना की स्थापना ही महिलाओं के लिए किया है। सूचना देकर आप ये समझे कि मैंने एक प्रशंसनीय कार्य किया है। इसका यह परिणाम होगा कि कार्रवाई होगी और महिला उत्पीड़न स्वयं समाप्त हो जाएगी।

राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य मंजू उर्फ गुडडी देवी ने कहा कि सोच समझकर किया गया काम ही बेहतर होता है। मधेपुरा की बेटी हैं तो फिर संकोच कैसा। कहीं उत्पीडऩ, अत्याचार दिखे तो फिर उसका त्वरित संज्ञान लें और संबंधित महिलाएं थाना को निर्भर होकर मदद करें।

समाजसेवी बबीता ¨सह ने कहा कि आज महिलाएं अपना लोहा मनवा चुकी है। लेकिन कतिपय समाज आज भी लैंगिक विभेदीकरण करता है। कानून तो कब का बन चुका है। लेकिन इसका कार्यान्वन में हमलोग ही पिछड़ रहे हैं। बेशक आप महिला उत्पीडऩ के विरूद्ध जमकर आवाज उठावें, लेकिन सही वस्तुस्थिति की जांच करें। पुरूष के साथ महिला कंधे से कंधे मिलाकर चलती रही है तो लैंगिक विभेदीकरण को भी एकजुट होकर ही दूर करें।

स्वास्थ्य सलाहकार सुधा संध्या ने वर्जनाओं की पहचान उन्हें तोडऩे के लिए स्वास्थ्य और शिक्षित होने की सलाह दी। इसके लिए उन्होंने अनेक हिदायतें और सीख भी दी।

इस अवसर पर डा. कृष्ण मोहन सहाय, डा. सैयद परवेज अहमद, ताज शमीमा सुलेमान, प्रो. चन्द्रकिरण रीना, प्रो. निशा कुमारी, प्रो. रीता कुमारी, राज लक्ष्मी, डा. श्याम कुमार, डा. शैलेन्द्र कुमार, प्रो. सुजीत कुमार, प्रो. मनोज कुमार, प्रो. महेश मिश्र, प्रो. नन्द कुमार झा, प्रो. सतीश कुमार ¨सह आदि ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। मंच संचालन जागरण पहल के राज्य समन्वयक डा. हरिओम मिश्रा और जिला समन्वयक प्रवीण कुमार ने किया। कार्यक्रम का संयोजन नोडेल पदाधिकारी प्रो. प्रदीप कुमार झा एवं डा. शैलेन्द्र कुमार ने किया।


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