स्वार्थ के लिए हुआ महापंचायत का आयोजन : संघर्ष मोर्चा
मधेपुरा। विद्युत रेल इंजन कारखाना में स्थानीय मजदूरों की हकमारी और कारखाना में दलाली प्रथा को समाप्त
मधेपुरा। विद्युत रेल इंजन कारखाना में स्थानीय मजदूरों की हकमारी और कारखाना में दलाली प्रथा को समाप्त करने को लेकर चकला चौक परिसर में विभिन्न राजनीतिक दलों के जन संघर्ष समिति सदस्यों द्वारा बुलाए गए महापंचायत का किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा, तुनियाही चकला के सदस्यों ने विरोध किया है। सदस्यों ने कहा नवगठित राजनैतिक दलों के संघर्ष मोर्चा के संयोजक द्वारा रेल विद्युत इंजन कारखाने के पदाधिकारियों और प्रशासन के मध्य भूमिदाताओं, मजदूरों तथा किसानों के प्रतिनिधि के रूप में मांगों की पूर्ति के लिए एकरारनामा किया गया है। एकरारनामे में मजदूरों के कार्य करने की सुविधाओं और मुआवजे संबंधी निर्णय लिए गए हैं। इस संबंध में किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा समिति जो वर्ष 2008 से ही गठित है, उससे सहमति नहीं ली गई है। नियमानुसार विभिन्न मांगों में संघर्ष मोर्चा की मांगों की अनदेखी की गई है। इससे प्रतीत होता है कि राजनैतिक लाभ के लिए ही सिर्फ एक दिन में संघर्ष समिति का गठन कर निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए मजदूरों की हकमारी करना चाहती है। किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा विभिन्न अवसरों पर मजदूरों और भूदाताओं की अपेक्षा के खिलाफ संघर्षरत रही है। सदस्यों ने कहा कि छह जून 2016 को चकला चौक पर आयोजित धरना के माध्यम से मजदूरों, बेरोजगार युवाओं एवं भूदाताओं के लिए रखी मांगे अब तक पूरी नहीं की गई हैं, ना ही मांगों को जन संघर्ष समिति सदस्यों ने रखा है जो गरीब मजदूरों और भूदाताओं के साथ अन्याय को दर्शाता है।
विरोध जताने वालों में अधिवक्ता निर्मल कुमार ¨सह, प्रकाश कुमार ¨पटू, अभय कुमार ¨सह, विनय यादव, बलराम यादव, विष्णुदेव यादव, बुधदेव यादव, फुलेन्द्र यादव, मो. अलाउद्दीन, मो. हलीम, रंजन कुमार यादव, नाथो प्रसाद यादव, चंदेश्वरी यादव, उमेश यादव, राकेश ¨सह, अशोक ¨सह, शिव प्रसाद शर्मा, मिथिलेश कुमार सहित अन्य शामिल थे।
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पूर्व में रखी गई मांगे :
- रेलवे मंत्रालय के भूदाताओं के प्रत्येक परिवार को नौकरी दिए जाने से संबंधित वर्ष 2010 के निर्देश का संघर्ष समिति द्वारा उल्लंघन किया गया है।
- भू अर्जन और पुर्नवास अधिनियम 2013 के निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। संघर्ष मोर्चा द्वारा भूदाताओं को मुआवजा, नौकरी, मजदूरों को प्रतिमाह काम, भूमि पर निर्भर किसानों को पांच लाख की सहायता राशि की मांग को एकरारनामा से अलग रखा गया है।
- रेल मंत्रालय और राज्य सरकार के 300 एकड़ अधिकृत भूमि के अधिरचना को निरस्त करने की मांग को नजरांदाज किया गया है।
- वर्ष 2006 से संघर्ष मोर्चा के नेताओं पर झूठे मुकदमें में फंसाना जिसे वापसी के लिए संघर्ष मोर्चा आज तक आंदोलनरत है, इसे एकरारनामा में शामिल नहीं किया गया है।