खाना चाहिए तो मरीज खुद लाएं थाली
मधेपुरा । सदर अस्पताल परिसर में एक अप्रैल से संचालित नशा मुक्ति केन्द्र में अब तक एक सौ एक मरीजों क
मधेपुरा । सदर अस्पताल परिसर में एक अप्रैल से संचालित नशा मुक्ति केन्द्र में अब तक एक सौ एक मरीजों करी जांच हुई है। इसमें 14 मरीजों को चिकित्सक ने केन्द्र में भर्ती किया है। भर्ती मरीजों में से दो को पटना रेफर कर दिया गया है। दस मरीज को इलाज व काउंस¨लग के पश्चात घर भेज दिया गया। शेष दो मरीज आज भी भर्ती हो इलाज करवा रहा है। जानकारी अनुसार राज्य में शराब बंदी के बाद सरकार के निर्देशानुसार सदर अस्पताल परिसर में दस बेड का नशा मुक्ति केन्द्र खोला गया। पुन: सरकार के पूर्ण शराब बंदी की घोषणा के बाद दस बेड को बीस बेड कर दिया गया। खोले गये नशा मुक्ति केन्द्र पूरी तरह वातानुकूलित है, ताकि यहां इलाज को आने वाले मरीजों को गर्मी में परेशानी न हो। केन्द्र के अन्दर भर्ती मरीजों के मनोरंजन हेतु एलईडी भी लगवाया गया है। परन्तु इतने सब के बावजूद केन्द्र में ईलाज हेतु जितने मरीज को आना चाहिए, उतना फिलहाल आ नही रहा है। जो आ भी रहा है चिकित्सक अगर भर्ती करने की बात करता है तो उसमें से कुछ तो भर्ती हो जाते है, कुछ मरीज घर से आने की बात कह घर चले जाते हैं। नशा मुक्ति केन्द्र के चिकित्सक डा. संतोष कुमार बताते हैं कि ओपीडी में प्रतिदिन सात से आठ रोगी आते हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र में होने वाले जांच एवं काउंस¨लग के बाद जिस मरीज को भर्ती करने की जरूरत पड़ती है उसे भर्ती किया जाता है। शेष को ईलाज के बाद घर भेज दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने नशा मुक्ति केन्द्र में टाइल्स, नया बेड, वातानुकूलित संयंत्र, एलईडी भी लगवा दिया है। साथ ही खिड़की, दरवाजे में नये नये पर्दा टंगवा तो जरूर दिये हैं। परन्तु वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों के खाने हेतु दस थाली एवं ग्लास की व्यवस्था नहीं किया है। लिहाजा मरीजों को खाना तो स्वास्थ्य विभाग से मिल जाता है। मरीज के पास खुद का थाली रहने के बाद थाली नहीं रहने पर खाना नहीं मिल पाता है।