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विशेष..अपराध में मासूम बन रहे हथियार

मधेपुरा। अपराध का यह नया ट्रेंड है। कम उम्र के बच्चों को हथियार के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 05:42 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 05:42 PM (IST)
विशेष..अपराध में मासूम बन रहे हथियार

मधेपुरा। अपराध का यह नया ट्रेंड है। कम उम्र के बच्चों को हथियार के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है। बैंक सहित ऐसे स्थानों पर बच्चों को छोड़ा जाता है जहां रुपये का लेन-देन होता है। बच्चे पर अमूमन कोई शक नहीं करता। इसका फायदा उठाकर घटना को अंजाम दिलाया जाता है। अपराध के लिए बच्चों को प्रशिक्षित भी किया जाता है। पूर्णिया का एक गिरोह इसमें सक्रिय है। पिछले दिनों उदाकिशुनगंज में एक शिक्षक से रुपये छीनकर भागने के दौरान पकड़े गए एक बच्चे ने पूछताछ के दौरान राज उगला है। यहीं नहीं जिले में इस प्रकार के करीब आधा दर्जन मामले सामने आ चुके हैं।

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कैसे देते हैं घटना को अंजाम

किशोर वय के बच्चों की टोली बैंक या अन्य स्थान पर रहते हैं। जहां रुपये का लेन-देन होता है। बच्चे पर किसी को शक नहीं होता इसका वे फायदा उठाते हैं। जैसे ही रुपये लेकर कोई निकलता है बच्चे उनपर कीचड़ या गंदा सामन फेंकते हैं। उसके बाद उनका रुपये को छीनकर भागते हैं। कुछ ही दूरी पर मोटरसाइकिल सवार एक व्यक्ति रहता उसे बैठाकर भाग निकलता है।

दर्ज है आधा दर्जन मामले

उदाकिशुनगंज में पकड़े गए एक बच्चे से पूछताछ के दौरान पता चला है कि पूर्णिया में एक गिरोह काम कर रहा है। जो बच्चों को अपराध के लिए प्रशिक्षित करता है। ट्रेंड बच्चे घटना को अंजाम देते हैं। इसका जाल कोसी व सीमांचल में फैला हुआ है। जिले के विभिन्न थानों में आधे दर्जन मामले दर्ज हैं।

शहर में भी बच्चे कर रहे चोरी

शहर में भी इन दिनों बच्चों की टोली चोरी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। एक सप्ताह में इस प्रकार के दो मामले आ चुके हैं। लोगों ने ऐसे चार चोर को पकड़ा और पुलिस के हवाले कर दिया। चारो बच्चे चोरी की नीयत से घर में घुसे थे। बाद में

'बच्चे को छिनतई की घटना लगाना अपराध है। पिछले दिनों उदाकिशुनगंज में ऐसे मामले सामने आए हैं। पुलिस नजर रख रही है। बच्चों को इस प्रकार के दलदल में धकेलने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा।

आशीष भारती

एसपी, मधेपुरा

'यह समाज का क्रूर रुप है। पैसे की हवस ने हमारे अंदर के इंसान को मार दिया है। बच्चों से इस प्रकार का घृणित कार्य कराना सही नहीं है। उसका भविष्य अंधकार में जा रहा है। इसके लिए समाज भी दोषी है।

डॉ. दयाराम यादव

पूर्व विभागाध्यक्ष

समाजशास्त्र विभाग

बीएनएमयू, मधेपुरा


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