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कोसी के 'अंधेरे' से नेपाल में 'उजाला'

धर्मेद्र भारद्वाज, मधेपुरा : कोसी के अंधेरे (नेत्र रोगी) से नेपाल में उजाला फैल रहा है। प्रतिवर्ष हज

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 06:25 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 03:19 AM (IST)
कोसी के 'अंधेरे' से नेपाल में 'उजाला'

धर्मेद्र भारद्वाज, मधेपुरा : कोसी के अंधेरे (नेत्र रोगी) से नेपाल में उजाला फैल रहा है। प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में नेत्र रोगी इलाज के लिए नेपाल के लहान, विराटनगर व धरान इलाज के लिए जाते हैं। इसकी मुख्य वजह वहां कम खर्च में ऑपरेशन होना और चिकित्सकीय विश्वसनीयता है। मालूम हो कि कोसी क्षेत्र के करीब तीस से 40 हजार व्यक्ति नेत्र का ऑपरेशन कराने के लिए प्रतिवर्ष नेपाल जाते हैं। इससे वहां की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ हो रही है। मरीज वहां जाए, इसके लिए एजेंट क्षेत्र में फैला हुआ है। जो लोगों को नेत्र ऑपरेशन कराने की जिम्मेवारी लेते हैं। इसके लिए वे तीन से चार हजार की राशि वसूलते हैं। उसके बाद मरीज को ले जाने से लेकर इलाज तक सारी जिम्मेवारी उनकी होती है। मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, कटिहार, पूर्णिया सहित अन्य जिलों के लोग इलाज के लिए नेपाल जाते हैं। मधेपुरा में तो एक भी नेत्र चिकित्सक का पदस्थापन स्वास्थ्य विभाग में नहीं है।

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मधेपुरा में नहीं है नेत्र चिकित्सक

जिले में नेत्र चिकित्सक नहीं होने से शिविर का आयोजन नहीं हो पाता है। सरकारी आंकड़ों को देखे तो नेत्र आपरेशन का लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाता है। जबकि राष्ट्रीय अंधापन उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में कम से कम प्रत्येक साल नौ हजार लोगों का ऑपरेशन होना अनिवार्य है। लेकिन दो साल के दौरान यहां मात्र तीन मरीजों का ही ऑपरेशन हो पाया है।

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दो हजार में होता है वहां इलाज :

नेपाल के लहान, धरान व विराटनगर में काफी संख्या में नेत्र अस्पताल है। वहां मात्र दो हजार रुपये में आपरेशन कर दिया जाता है। आपरेशन सस्ता व कारगर होने के कारण भी लोग वहां जाते हैं।

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ठंड में जाते हैं सर्वाधिक मरीज

मोतियाबिंद का ऑपरेशन ठंड के मौसम में अधिक होता है। यहीं कारण है कि लोग इस मौसम में अधिक संख्या में नेपाल इलाज के लिए जाते हैं।

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गांवों में फैला है एजेंट

कोसी के गांवों में नेपाल अस्पताल के एजेंट फैला हुआ है। जो मरीजों को मोतियाबिंद आपरेशन कराने को लेकर जानकारी देते हैं। साथ ही मरीजों को अस्पताल ले जाने व इलाज की जिम्मेवारी लेते हैं। इसके लिए उनका फीस बंधा हुआ है।

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स्वास्थ्य विभाग में दो साल से पड़ी है है राशि

स्वास्थ्य विभाग में पिछले दो साल से आठ लाख की राशि पड़ी हुई है। इस दौरान मात्र तीन ही मरीजों का नेत्र आपरेशन हो पाया है। चिकित्सक नहीं होने से राशि खर्च नहीं हो पायी है।

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मोतियाबिंद से परेशानी

- दिखाई कम देना

- पकने के बाद परेशानी बढ़ना

- लेंस उजला पड़ने लगना

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मोतियाबिंद होने के कारण

- खान-पान में कमी के कारण

- सूर्य की किरण से

- डायबटीज वाले मरीज जल्द होते हैं शिकार

- सही ढंग से आंखों का देखभाल नहीं करने से

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बचाव के उपाय

- आंखों को धूल से बचाना

- तेज प्रकाश से बचना

- सोने से पहले आंखों को धोना

- लेट कर पुस्तक नहीं पढ़ना

- धुंधली व कम रोशनी में नहीं पढ़ना

- आंखों को हाथ से नहीं रगड़ना चाहिए

- आंखों को चेकअप कराते रहना चाहिए

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चिकित्सक उम्र बढ़ने के साथ मोबियाबिंद होता है। अगर सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है कि बीमारी अधिक फैल जाती है। सहीं ढंग से आंखों की देख-भाल किया जाय तो बीमारी से बचा जा सकता है।

डा.अमित आनंद

आनंद नेत्र अस्पताल

मधेपुरा

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नेत्र चिकित्सक नहीं होने से मोतियाबिंद का आपरेशन नहीं हो पाता है। ऐसे में विभाग में पड़ी हुई आठ लाख की राशि खर्च नहीं हो पा रही है।

डॉ.जेपी मंडल

जिला अंधापन पदाधिकारी, मधेपुरा

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खास बातें..

सस्ता व विश्वसनीय आपरेशन के कारण शरहद पार जाते हैं नेत्र रोगी

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नेपाल नेत्र अस्पताल ले जाने के लिए क्षेत्र में बहाल है एजेंट

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नेपाल में 50 प्रतिशत कम खर्च में हो जाता है इलाज


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