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हिन्दी मैथिली साहित्य पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

By Edited By: Published: Sun, 31 Aug 2014 07:13 PM (IST)Updated: Sun, 31 Aug 2014 07:13 PM (IST)

जागरण संवाददाता, मधेपुरा : रविवार को मधेपुरा कॉलेज में हिन्दी मैथिली साहित्य और नागार्जुन विषय पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में नेपाल, बंगाल और मिथिला व अंग के कवि-साहित्यकारों ने जनकवि, प्रगतिशील साहित्यकार एवं व्यग्यकार के रूप में पं. बैघनाथ मिश्र यात्री के हिन्दी क्षेत्र में प्रख्यात नाम नागार्जुन के साहित्यिक अवदानों और उपलब्धि पर चर्चा की। इस अवसर पर नागार्जून पर आलेखों की पुस्तिका का भी विमोचन किया गया। संगोष्ठी का आरंभ प्रो. भारती सिंह के स्वागत गीत और प्रो. सुभाष मंडल के भजन से हुआ। स्वागत भाषण प्रधानाचार्य डॉ. अशोक कुमार ने किया। संगोष्ठी से पूर्व मैथिली और हिन्दी साहित्य के अतिथि वक्ता विद्वानों का अभिनदंन पाग और दोपदा से किया गया। दीप प्रज्जवलित कर समारोह की शुरूआत हुई। उद्घाटन भाषण करते हुए बीएन मंडल विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डा. जेपीएन झा ने पं. बैद्यनाथ मिश्र यात्री मैथिली के याचावर कवि और कथाकार थे। उन्होंने हिन्दी साहित्य में नागार्जून के नाम से अनेक उपन्यास, कहानी व कविता का जन्म देकर प्रसिद्धी पाई। उनकी भाषा और कथा शैली प्रगतिशील साहित्य की अमूल्य धरोहर के रूप सदा याद की जाएगी। विशिष्ट अतिथि डॉ. के एन ठाकुर ने नागार्जुन को बेवाक और प्रगतिशील कवि के रूप में याद करते हुए उनके प्रसिद्ध कविता को याद किये-

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मुख्य अतिथि के रूप में अवकाश प्राप्त मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ. जगदीश नारायण प्रसाद ने कहा कि नागार्जुन में कबीर की सामाजिक चेतना, निराला का फक्कड़पन और पैनापन पाया। जनकवि, प्रगतिशील कवि और व्यंगकार के रूप में नागार्जुन के अवदानों को उन्होंने याद किया।

नेपाल के त्रिभूवन विश्वविद्यालय से आये मैथिली के विद्वान डॉ. राम भरोस कापड़ भ्रमर ने नेपाल में मैथिली साहित्य की स्थिति को बेहतर बताते हुए कहा कि वहां कविकार विद्यापति और व्यंगकार हरिमोहन झा के बाद यात्री या नागार्जून ही सर्वाधिक पढ़े जाते हैं। इनकी पुस्तक का अनुवाद भी नेपाली भाषा में किया गया है। डॉ. शिव पूजन सिंह (भागलपुर) ने भी अपने विचार रखे। प्रथम सत्र में वयोवृद्ध गुरूजन शालिग्राम मंडल और नंद किशोर यादव का सम्मान प्रधानाचार्य डॉ. अशोक कुमार, डॉ. पूनम यादव एवं जुली ज्योति द्वारा किया गया।

द्वितीय सत्र में काव्य पक्ष पर विमर्श किया गया जिसकी अध्यक्षता डॉ. अमोल राय ने किया और संचालन डॉ. विनय कुमार चौधरी ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में मैथिली साहित्य के मू‌र्द्धन्य विद्वान डॉ. भीम नाथ झा ने यात्री को मैथिली साहित्य का क्रांति संवाहक बताया। गद्य सत्र की अध्यक्षता प्रो. इन्द्र ना. यादव ने किया और नागार्जून के गद्य पक्ष पर विमर्श-वाक्ता डॉ. राम भरोस कापड़ भ्रमर, डॉ. राम नरेश सिंह, डॉ. देव ना. पासवान, डॉ. रामजीवन सिंह, डॉ. राजा राम सिंह राठौर आदि थे। मंच संचालन प्रो. रूपम और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. भारती ने किया। तृतीय सत्र काव्य संज्ञा के रूप में डॉ. विनोद कुमार चौधरी की अध्यक्षता में हुई जिसका संचालन प्रो. ओमप्रकाश और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मुसताक मोहम्मद, चतुर्थ सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन प्रो. मनोज कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. भगवान कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर डॉ. राम भजन मंडल, डॉ. शिवना. यादव, डॉ. शांति यादव, डॉ मायल किशोर यादव, डॉ. भूपेन्द्र ना. यादव मधेपुरी, प्रधानाचार्य डॉ. रेणु सिंह, विद्यानंद यादव, प्रो. देव ना. पासवान, डॉ. जवाहर पासवान, डॉ. रामनरेश सिंह, डॉ. विद्यानंद मिश्र सहित सैकड़ों प्राध्यापकों ने शिरकत की।


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