सूखे की चपेट में पांच गांव, आंदोलन की सुगबुगाहट
लखीसराय। नक्सल प्रभावित कजरा थाना क्षेत्र पांच गांवों में गर्मी शुरू होते ही रोजमर्रा के दैनिक कार्य
लखीसराय। नक्सल प्रभावित कजरा थाना क्षेत्र पांच गांवों में गर्मी शुरू होते ही रोजमर्रा के दैनिक कार्य के लिए पानी की किल्लत झेलना पड़ता है। ये गांव बसुहार, नवकडीह, चंपानगर, मंझियावां और खैरा है जहां इन दिनों बुन्देलखंड या विदर्भ का नजारा देखने को मिलता है। इन गांवों से पशुओं को पलायन पहले ही हो चुका है। अब वहां रह रहे लोग भी अपने रिश्तेदारों के यहां ठिकाना खोजना शुरू कर दिया है। जो लोग घर की देखरेख के लिए गांव में हैं उन्हें पानी से जूझना पड़ रहा है। सभी जलस्त्रोत सूख चुके हैं। वहां रात में जमे पानी लेने के लिए अल सुबह महिला-पुरुष की भीड़ लगती है और पहले पानी लेने को लेकर हर रोज मारपीट की नौबत आ जाती है। बीते 21 अप्रैल से जिला प्रशासन के आदेश पर पीएचईडी विभाग द्वारा पेयजल की आपूर्ति के लिए उक्त पांचों गांवों में चार टैंकर से पानी की आपूर्ति की जा रही है जो ग्रामीणों के लिए नाकाफी है। पानी की किल्लत को लेकर लगभग चार हजार मवेशी और डेढ़ हजार पशुपालक लगभग पंद्रह दिनों पहले खगड़िया जिला के फरकिया दियारा पलायन कर चुके हैं। बसुहार से लेकर चंपानगर गांव तक के सारे तालाब या तो सुख चूक हैं या सूखने के कगार पर कीचड़ में तब्दील हो गए हैं। बसुहार के ग्रामीण संतोष कुमार, छबीला यादव, नंदन यादव, अर्जुन यादव, रामदेव यादव, कंचन कुमार, चंद्रशेखर यादव, नन्हकी देवी, प्रमिला देवी आदि ग्रामीण बताते हैं कि एक टैंकर पानी आते ही लोगों में मारामारी शुरू हो जाती है। हिस्से में थोड़ा पानी आता है जिससे सिर्फ पीने के लिए उपयोग में लाया जाता है। बसुहार में पीएचईडी द्वारा पांच चापाकल लगाए गए हैं जिसमें तीन ने दम तोड़ दिया है। काली मंदिर के निकट वाले चापाकल में गांव के ही एक दबंग व्यक्ति ने ताला लगा रखा है। गांव के दिनेश यादव रोज मिठाई की दुकान में दो डिब्बा दूध देने कजरा जाते हैं और उधर से लौटने में उसमें पानी भरकर लाते हैं। पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता हरेराम ने बताया कि फिलहाल टैंकर से पानी की आपूर्ति की जा रही है। इसे और बढ़ाया जाएगा।