पिता से समाज के प्रति समर्पण की मिली सीख
लखीसराय। पिता समर्पण हैं, श्रद्धा हैं। कभी बेपनाह प्यार हैं तो कभी ¨जदगी को सफल बनाने के लिए शिक्षा
लखीसराय। पिता समर्पण हैं, श्रद्धा हैं। कभी बेपनाह प्यार हैं तो कभी ¨जदगी को सफल बनाने के लिए शिक्षा देने वाले सख्त शिक्षक होते है। पिता द्वारा दिए गए सीख किसी स्कूल व कॉलेज में नहीं मिल सकती है। जिनके पास पिता है उन्हें दुनिया में किसी चीज की कभी कोई कमी नहीं हो सकती। मेरे पिता सीताराम मेहता अब इस दुनिया में नहीं है। उनकी कमी ¨जदगी में हमेशा खलती है। लेकिन नियति को कोई टाल नहीं सकता है। पिताजी का निधन 21 मई 2012 को हो गया। पिता जी मध्य विद्यालय नयाबाजार में प्रधानाध्यापक थे। सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ हिस्सा लेते रहे। महिला विद्या मंदिर होकर संतर मुहल्ला की ओर जाने वाले सड़क के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। पिछड़ा इलाका होने के कारण कोई रास्ता नहीं देता था। पिता जी ने अपना जमीन एवं पैसे खर्च कर रास्ता बनाया। कम्यूनिष्ट पार्टी कार्यालय के लिए ढ़ाई कट्ठा जमीन दान में दे दिया। पिता जी का अपने बच्चों के प्रति काफी प्यार था। घर में छोटा होने के कारण मुझे अधिक प्यार मिला। उनका कहना था कि जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना हो तो ईमानदारी से मेहनत करो। पिता की सीख से मैं सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता हूं। पिता जी की याद सदैव जेहन में रहता है। यही कारण है कि सफलता पूर्वक जीवन का निर्वहन कर रहा हूं। पितृपक्ष पर पिता को श्रद्धांजलि व नमन।
ज्ञान स्वरूप, सामाजिक कार्यकर्ता
वार्ड संख्या 13, पुरानी बाजार, लखीसराय।