गंगा की धारा में बह गए किसानों के सपने
लखीसराय। लखीसराय जिले की आर्थिक उन्नति पूरी तरह कृषि पर आश्रित है। जहां किसान अपनी क्षमता के अनुरूप
लखीसराय। लखीसराय जिले की आर्थिक उन्नति पूरी तरह कृषि पर आश्रित है। जहां किसान अपनी क्षमता के अनुरूप खेती कर उसके अच्छे उत्पादन के आधार पर ही अपने और परिवार की खुशहाली का सपना देखते हैं। लेकिन इस बार के बाढ़ ने जिले के किसानों की कमर तोड़ दी है।
जिले के बड़हिया, पिपरिया, सूर्यगढ़ा एवं लखीसराय प्रखंड की 27 पंचायतों में बाढ़ का कहर इस कदर टूटा कि खेतों में लगी मक्का, सोयाबीन, सब्जी सहित अन्य फसल पूरी तरह नष्ट हो गई। अपने आंखों के सामने गंगा की धार में सैकड़ों किसानों के चेहरे पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। खासकर बटाईदार किसानों के समक्ष किसानी छोड़ने की नौबत आ गई है। सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी सुनील कुमार ने जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार को बाढ़ प्रभावित चारों प्रखंडों में बाढ़ से फसलों की क्षति का आकलन करने की जिम्मेदारी दी। जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार ने डीएम को 22 अगस्त तक गंगा एवं उनकी सहायक नदियों से हुई फसल क्षति की जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार जिले के चार बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में कुल 61262.62 एकड़ में फसल आच्छादित हुई थी। जिसमें अब तक 39341.35 एकड़ में लगी फसल क्षतिग्रस्त हो गई। हालांकि फसल क्षति का सर्वे अब भी जारी है।
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बाढ़ में क्षति हुई फसल का आंकड़ा
धान - 19225.98 एकड़
मक्का - 18655.74 एकड़
अरहर - 918.8 एकड़
तिल - 19.76 एकड़
अंडी - 37.05 एकड़
सब्जी - 488.02 एकड़
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किसानों का दर्द
दियारा क्षेत्र के किसान रामविलास ¨सह, रामसेवक ¨सह, पूर्व मुखिया शिवरंजन प्रसाद ¨सह, सुधांशु कुमार ¨सह, अनिल ¨सह आदि ने कहा है कि दियारा क्षेत्र में गंगा के पानी ने किसानों के मेहनत को छीन लिया। मक्का, सब्जी व अन्य फसल डूबकर खत्म हो गई है। सरकार के मुआवजे से भी बाढ़ से बर्बाद हुई फसल की कीमत नहीं मिल पाएगी।