बेहाल किसानों को भगवान ही सहारा..
संस., लखीसराय : जिले में धान फसल के रिकार्ड उत्पादन के बाद किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर थी। लेकिन
संस., लखीसराय : जिले में धान फसल के रिकार्ड उत्पादन के बाद किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर थी। लेकिन धान क्रय में व्याप्त धांधली, भ्रष्टाचार और धान क्रय के बाद भी रुपये के लिए चक्कर काट रहे परेशान किसानों को बेमौसम बारिश में हुई रबी फसल के नुकसान ने झकझोर कर रख दिया है। बैंक, सरकारी समितियों, सूद खोरों एवं पट्टा पर कर्ज लेकर बोया गेहूं बर्बाद हो जाने से किसानों की आर्थिक, पारिवारिक स्थिति पर भी असर पड़ा है। सरकारी घोषणा के बावजूद मुआवजे की आस में किसानों को अपने कर्ज चुकाने की चिंता बढ़ गई है। जानकारी हो कि बीते दिसंबर-जनवरी माह में भीषण शीतलहर की चपेट में बड़हिया टाल क्षेत्र के हजारों एकड़ में लगे दलहनी फसल पूरी तरह नष्ट हो चुका है। इस त्रासदी से किसान उबरे भी नहीं थे कि मार्च महीने में बेमौसम बारिश से जिले में रबी फसल बर्बाद हो गया। जानकारी के अनुसार जिले के हलसी, रामगढ़, लखीसराय, सूर्यगढ़ा एवं चानन प्रखंड में 60 फीसद से अधिक गेहूं फसल बारिश में बर्बाद हो गया। किसानों की मानें तो बारिश के कारण गेहूं की फसल पकी नहीं, गेहूं के दाने काले और पतले हो गए। जिसके कारण इनकी कीमत तो क्या मवेशियों के लिए भूसा का भी इंतजाम होना मुश्किल है। जानकारी के अनुसार जिले में 40 से 50 फीसद किसान किसी न किसी रूप से कर्ज से दबे हैं। यहां पट्टा पर खेती करने वाले किसानों की संख्या 50 फीसद से अधिक है। जिले में बेमौसम बारिश में क्षति हुए रबी फसल का आकलन कृषि विभाग द्वारा किया गया। जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार की मानें तो जिले में सरकारी मानक के अनुसार मुआवजा राशि पाने के लिए किसानों का फसल क्षति नहीं हुआ है। उधर क्षेत्रीय विधायक विजय कुमार सिन्हा की मानें तो जिले में बेमौसम बारिश से 60-70 फीसद रबी फसल नष्ट हो गया है। इसके नुकसान की भरपाई के लिए विधानसभा में भी राज्य सरकार से डेढ़ गुणा मुआवजा देने की मांग की है। उधर खेतों में बर्बाद गेहूं फसल देख किसान एक बार फिर उसी भगवान के सहारे हैं। जिससे उन्हें इस बेमौसम बारिश की शिकायत है। जिले में किसानों द्वारा आत्महत्या या फिर फसल जलाने की कोई घटना सामने नहीं आई है।