..आखिर लाता कहां से है
किशनगंज। वाटशएप पर झूठी शुभकामनाएं बटोरने वाले वक्त पर मां की दुआएं ही काम आती है।
किशनगंज। वाटशएप पर झूठी शुभकामनाएं बटोरने वाले वक्त पर मां की दुआएं ही काम आती है। वक्त पर मां की दुआएं ही काम आती है। दैनिक जागरण हास्य कवि सम्मेलन में इस पंक्ति पर तालियों की गरगराहट से पूरा एमजीएम परिसर गूंज उठा। कवि
दिनेश दिग्गज ने आज के समय में सोशल मीडिया वाट्सएप और फेसबुक के बढ़ते प्रचलन
और जरुरत से ज्यादा इस ओर झुकाव पर अपने अंदाज में कटाक्ष किया तथा कहा कि जब भी जरुरत पड़ेगी तो मां की दुआएं ही काम आती है, न कि वाट्सएप पर मिलने वाले शुभकामना संदेश।
इतना ही नहीं कवि दिनेश दिग्गज ने सेल्फी पर भी व्यंग्य के तीर छोड़े तो गुगल सर्च पर भी हंसी के फव्वारे के बीच अपने अंदाज में बयां किया। कवि दिनेश दिग्गज जो मंच का संचालन कर रहे थे के जोशीले चटपटे हास्य, व्यंग्य कविता व चुटकुले ने श्रोताओं के बीच जमकर समा बांधा।
कवि सम्मेलन में वाट्सएप व फेसबुक के अलावा बिहार में बंद शराब पर भी व्यंग्य वाण चले, जोरदार ठहाकों के बीच कहा
रास्ता बंद है, तो आता कहां से है,
अगर आ जाए तो जाता कहां है,
फिर भी टुन है यार आखिर लाता कहां से है?