यादगार बन गया कवि सम्मेलन
किशनगंज। गुरुवार की देर रात तक एमजीएम मेडिकल कॉलेज परिसर में चला कवि सम्मेलन यादगार बन गया। समय से
किशनगंज। गुरुवार की देर रात तक एमजीएम मेडिकल कॉलेज परिसर में चला कवि सम्मेलन यादगार बन गया। समय से थोड़ा विलंब से शुरु हुए सम्मेलन में कवियों ने अपने हास्य रचना से लोगों को इतना गुदगुदाया कि लोग अंत तक कुर्सी से चिपके रहे। पूरा परिसर तालियों और ठहाकों से गूंजता रहा। हालांकि इस दौरान मौसम भी मेहरबान रहा। मुक्ताकाश मंच पर आयोजित सम्मेलन में नामचीन कवि डा. राहत इंदौरी, डा. दिनेश दिग्गज, मदन मोहन समर, डा. ममता शर्मा ने हास्य रस के माध्यम से लोगों की खूब तालियां बटोरी। कविता पाठ कर कवि जहां श्रोताओं को देशभक्ति से ओत प्रोत कर दिया। वहीं सियासत पर तंज कसने के साथ ही व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े किए। राहत इंदौरी ने जैसे ही माइक पकड़ी लोगों ने ताली बजाकर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इंदौरी ने भी दर्शकों की कसौटी पर खड़े रहकर उन्हें खूब हंसाया। बीच बीच में दर्शक उनके हास्य रचना सुन मंत्रमुग्ध हो ताली बजाते रहे। राहत इंदौरी ने फैसला जो भी कुछ हो मंजूर होना चाहिए, जंग हो या इश्क हो भरपूर होना चाहिए। कट चूकी है उम्र सारी जिनकी पत्थर तोड़ते, अब तो इन हाथों में कोहिनूर होना चाहिए.. से अपने कविता पाठ की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने एक से एक हास्य रचना व शायरी सुना लोगों को गुदगुदाया। सिर्फ खंजर ही नहीं आंखों में पानी चाहिए, ऐ खुदा दुश्मन भी मुझको खानदानी चाहिए, मैंने अपनी खुश्क आंखों से लहू छलका दिया, एक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए..जैसी रचना प्रस्तुत कर लोगों की खूब वाहवाही बटोरी।