पुल-पुलिया नहीं, चचरी के सहारे हो रहा आवागमन
किशनगंज। टेढ़ागाछवासियों का सपना कब पूरा होगा। यह सवाल बार-बार लोगों के जुबां पर आ रही है। सरकार विक
किशनगंज। टेढ़ागाछवासियों का सपना कब पूरा होगा। यह सवाल बार-बार लोगों के जुबां पर आ रही है। सरकार विकास की बात करती है लेकिन हकीकत कुछ और है। प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में दर्जनों चचरी पुल विकास की पोल खोल रही है। लोग चचरी पुल से आवाजाही करने का मजबूर है।
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खनियाबाद पंचायत के बैरिया, भेलागुड़ी, चिचौड़ा, पीपड़ा ग्रामवासी नारायण प्रसाद ¨सह, केशव प्रसाद ¨सह, चंदन पंडित, राजकुमार पंडित, शंकर पंडित का कहना है कि वे लोग एक अदद पुल के लिए तरस रहे है। बरसात में नदी पार करने के लिए घंटों नाव का इंतजार करना हमारी विवशता है। अभी ग्रामीणों की सहायता से चचरी पुल बनाकर आवागमन करते है। गांवों तक बिजली भी नहीं पहुंची है।
पंचायतवासियों की सुनें
चिल्हनिया पंचायत के मायानंद मंडल, जोगी सहनी, सिकंदर साह, चमन लाल साह कहते है कि रेतुआ नदी पर पुल के अभाव में बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है। बरसात में बच्चे तीन से चार माह विद्यालय नहीं जा पाते है। अभी नदी में चचरी पुल बनाकर काम चल रहा है। यही हाल पंचायत के पुरंधा ग्रामवासियों का है। पुरंधा क¨टग में पुल निर्माण को लेकर गांववासी कई बार सड़क पर उतर कर आक्रोश व्यक्त कर चुके है।
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बैगना पंचातय के तेघरिया गांव वालों की मांग तेघरिया क¨टग में एक अदद पुल की है। सैकड़ों महादलित परिवार क¨टग के किनारे बसे हुए है। उनलोगों को हाट-बाजार, खेती आदि के लिए रोज नाला पार करना मजबूरी है। हवाकोल पंचायत के गोरिया हाट स्थित ध्वस्त आरसीसी पुल विगत पांच वर्षें से निर्माण्के लिए तरस रहा है। स्थानीय दर्जनों गांवों के लिए यह ध्वस्त पुल परेशानी का सबब बना हुआ है। यहां पंचायत भवन, मध्य विद्यालय, बगुलाडांगी में आवागमन के लिए ग्रामीण सहित बच्चें को काफी परेशानी होती है। विद्यालय में रोज आने-जाने वाले छोटे-छोटे बच्चे पानी पार कर आवागमन करते है।
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प्रखंड में कहां कहां है चचरी पुल :
भेलागुड़ी, बीबीगंज, सौलघाट पीपड़ा, हाटगांव, कासीबाड़ी, पीपड़ा, मटियारी, लौचा सह सभी चचरी पुल कनकई व गोरिया नदी पर बनी है। चिल्हनिया, सुहिया, कोठीटोला में बनाई गई चचरी पुल रेतुआ नदी में बनी है। इन ग्रामवासियों के दर्द काोप्रशासन या इनके रहनुमा सुनने को तैयार नहीं है।