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लोक शिक्षा केंद्र खुलने से बढ़ी जिले की साक्षरता दर

------------------------ कोट- साक्षर भारत अभियान के तहत मिलने वाली राशि का उपयोग हर हाल में हो जान

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 03:01 AM (IST)
लोक शिक्षा केंद्र खुलने से बढ़ी जिले की साक्षरता दर
लोक शिक्षा केंद्र खुलने से बढ़ी जिले की साक्षरता दर

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कोट- साक्षर भारत अभियान के तहत मिलने वाली राशि का उपयोग हर हाल में हो जाना था। यदि संपूर्ण राशि का उपयोग नही किया जाना अत्यंत ही ¨चता का विषय है। यदि भेजी गई संपूर्ण राशि का उपयोग हो जाता तो जिला का साक्षरता दर 70 फीसद तक पहुंच सकता था। - मौलाना असरारूल हक कासमी , सांसद।

संवाद सहयोगी, किशनगंज : साक्षर भारत अभियान की शुरूआत 2009 में की गई थी। शुरूआती दौर में साक्षरता दर 46 फीसद था लेकिन सात वर्ष के बादं साक्षरता दर 65 फीसद तक पहुंच गया। सात वर्ष के दौरान पांच लाख से ज्यादा निरक्षर लोगों को साक्षर बनाया जा सका। इस अभियान की सफलता के लिए 126 पंचायत में 126 लोक शिक्षा केंद्र खुलना था। प्रत्येक केंद्र में दो प्रेरकों को काम पर लगाया गया था। इनमें एक वरीय प्रेरक और दूसरा सहायक प्रेरक के नाम से जाना जाता है। सभी लोक शिक्षा केंद्र पंचायत के किसी एक मध्य विद्यालय में खोला गया। जहां विशेष रूप से निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने के लिए अध्यापन कार्य किया जाता रहा। इसका बेहतर परिणाम उभर कर सामने आया।

इस अभियान की शुरूआत 12 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत की गई थी। इस अभियान के बेहतर कार्य को देखते हुए मार्च 2013 में आगे बढ़ा दिया गया। लेकिन अफसोस की बात यह है कि 31 मार्च 2017 को यह अभियान समाप्त हो रहा है। इस अभियान में सामान्य श्रेणी , एससी व एसटी और अल्पसंख्यकों को बुनियादी साक्षरता सहित लिखने पढ़ने का ज्ञान दिया गया।

साक्षर भारत अभियान के तहत जिला में 252 प्रेरक आधारित केंद्र खोले जाने का लक्ष्य था। लेकिन 240 केंद्र खोले गए। केंद्र संचालन के लिए 2016-17 में प्राप्त राशि 16,89,600 रूपये आए थे। लेकिन 2,80,730 रूपये ही खर्च किए गए। शेष 14,08,870 बचे रह गए।

वहीं महादलित अल्पसंख्यक अक्षर एवं अति पिछड़ा वर्ग आंचल योजना के तहत तालिमी मरकज और उत्थान केंद्र खोले जाने थे। इसके अंतर्गत तालिमी मरकज के लिए 533 केंद्र खोलने का लक्ष्य मिला था। लेकिन 529 केंद्र ही खोले गए। जबकि उत्थान केंद्र के लिए 183 केंद्र खोले जाने थे। लेकिन इसके संचालन के लिए भी केवल 179 केंद्र खोले गए। इस केंद्र के संचालन के लिए 2016-17 में 8,28,33,120 रूपये की राशि भेजी गई। लेकिन 8014,46,295 रुपये ही खर्च किए जा सके। अंतत: इस मद में भी 13,86,825 राशि शेष बच गए। ये सभी बची हुई राशि अब वापस लौट जाएगी।


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