Move to Jagran APP

भागवत गीता सत्य का सार: पं. पवन

By Edited By: Published: Fri, 10 Aug 2012 07:42 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2012 07:43 PM (IST)
भागवत गीता सत्य का सार: पं. पवन

फोटो-10केएसएन-40,41,

loksabha election banner

कैप्शन = प्रवचन करते कथावाचक पंडित पवन व उपस्थित महिला भक्तजन।

एक संवाददाता, किशनगंज : धर्मशाला रोड स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में सात दिवसीय भागवत कथा अनवरत जारी है। चौथे दिन शुक्रवार को प्रवचन करते हुए पंडित पवन कृष्ण ने बताया कि आत्मा अमर होती है। इसे न तो कोई जला सकता है और न ही नष्ट कर सकता है। यह मानव रूपी शरीर केवल हाड़ और मांस का बना है। जो समय-समय पर केवल अपना रूप बदलता रहता है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार इंसान पुराने कपड़े को त्याग कर नए कपड़े धारण करते हैं। ठीक उसी प्रकार आत्मा भी अपने पुराने शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण कर लेता है। इस कारण इंसान को अपने जीवन में हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। कारण यह है कि इंसान का शरीर तो नश्वर है। इसे तो एक न एक दिन नष्ट होना ही है। जो इंसान अपने जीवन में समाज के लिए कोई विशेष कार्य करता है। वह संसार में हमेशा के लिए अमर हो जाता है। जब-जब इस संसार में धर्म की हानि हुई। तब तब धर्म की रक्षा के लिए भगवान ने इंसान का रूप धारण कर धर्म की रक्षा की । श्री मदभागवत कथा में स्पष्ट वर्णित है कि जब धर्म की रक्षा के लिए कुरूक्षेत्र के मैदान में कौरव और पांडव युद्ध के लिए आमने सामने खड़े थे। उस समय युद्ध में अर्जुन ने अपने विपक्ष में खड़े कौरव भाइयों पर शस्त्र चलाने से इंकार कर दिया। तब युद्ध भूमि में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि धर्म की रक्षा के लिय अगर अपने सगे संबंधियों पर भी शस्त्र चलाना पड़े तो हमें इसमें पीछे नही हटना चाहिए। इस भागवत कथा को सुनने बड़ी संख्या में महिलाएं भक्तजन उपस्थित थी।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.