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भूख से तड़पते किशनगंजवासी काठमांडू से पहुंचे घर

संवाद सूत्र, पहाड़कट्टा (किशनगंज) : भूख व प्यास से तड़पते 40 लोगो का एक जत्था मंगलवार को काठमांडू से प

By Edited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 07:46 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 07:46 PM (IST)
भूख से तड़पते किशनगंजवासी काठमांडू से पहुंचे घर

संवाद सूत्र, पहाड़कट्टा (किशनगंज) : भूख व प्यास से तड़पते 40 लोगो का एक जत्था मंगलवार को काठमांडू से पोठिया थाना के चिचुआबाड़ी गांव में पहुंचा। भूकंप के दौरान काठमांडू में उक्त लोग कपड़े की सिलाई व रंगाई का काम कर रहे थे। ये लोग भूकंप के समय दूसरे-तीसरे मंजिला पर काम कर रहे थे। बाहर निकले तो बिल्डिंगों को गिरता हुआ देखा। चारों तरफ हाहाकार देखा। वहीं सलामत पहुंच लोगों को देखकर परिजनों के आंखों में खुशी के आंसू टपक पड़े । मां अपने बेटे व पोते को खुशी से गले व सीने से चिपका लिए।

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---भूकंप में फंसे थे सैकड़ों लोग, मौत खड़ी थी सामने: शनिवार को काठमांडू में भूकंप ने कहर बरपाया था। जिसमें पोठिया प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों लोग फंस गए थे। जिसे लेकर चार दिनों से गांव में मातम छाया हुआ था। काठमांडू से घर लौटे चिचुआबाड़ी निवासी मो. तौहिद, मो. रहीम, मो. शफीर, मो. सलीम आदि ने बताया कि काठमांडू में शनिवार को साप्ताहिक बंदी रहती है और कुछ फैक्ट्रियां हाफ डे यानी 12 बजे तक खुली रहती है। हमलोग शनिवार को सिलाई का काम कर रहे थे। नेपाल के समयानुसार 11.55 बजे में अचानक मशीन, बिल्डिंग हिलने-डोलने लगी। जिसे देख कर आनन- फानन में तीसरे मंजिला से बमुश्किल नीचे उतरे और रोड पर खड़े हुए ही थे कि सामने की एक बड़ी बिल्डिंग ध्वस्त हो गई। पूरे शहर में अफरा- तफरी मच गई और देखते ही देखते प्रत्येक 5-6 मिनट में एक-एक झटका आता था और बिल्डिंग, सड़क, बिजली के खंभे गिर रहे थे। शनिवार के कारण अधिकांश लोग अपने-अपने घरों में ही थे और सपरिवार ईश्वर, भगवान, खुदा से शांति की प्रार्थना कर रहे थे। चिचुआबाड़ी निवासी व पश्चिम बंगाल डिमोरला निवासी मुख्तार आलम, मालेखा खातून, सालेहा खातून, मोहसीन रजा, फज्लू, शादीक, शाहनवाज आदि ने बताया कि हम लोग काठमांडू के गौशाला, नया बाजार, कोठेश्वर, चावेल, जोरपाखी आदि स्थानों में छपाई का काम कर रहे थे। परिवार क्वार्टर में था और हम लोग अपने-अपने संबंधित फैक्ट्रियों में काम कर रहे थे। इसी क्रम में भूकंप से मकान सहित मशीन हिलने लगी। भयभीत होकर तुरंत दो मंजिला से सीढ़ी द्वारा उतरे। और आमने-सामने के बिल्डिंग को अपनी-अपनी नजरों से टूटते देख होश उड़ गया। देखते ही देखते हर पांच से छह मिनट पर भूकंप का झटका आता था और बिल्डिंग गिर रही थी। सभी अवाक थे। जैसे- जैसे बिल्डिंग गिर रही थी, मौत व परिवार आंख के आगे नाच रहा था। घर, मां, बाप, बहन भाई, रिश्तेदार से बिछड़ने का गम की वेदना को कैसे कहूं। पत्नी व संतान से प्रदेश में हाल-चाल भी नहीं ले पा रहे थे। दिल व दिमाग में परिवार की चिंता व मौत से बचने का उपाय नजर नहीं आ रहा था। एक-दूसरे अल्लाह, भगवान से शांति की भीक्षा मांग रहे थे। साथ ही साथ एक-दूसरे को दिलासा भी दिया जा रहा था। फोन काम नहीं कर रहा था। यातायात की सुविधा बाधित हो चुकी थी ।

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जहाना खातून को मौत ने बक्शा, लेकिन टूट गया पैर

पहाड़कंट्टा: चिचुआबाड़ी निवासी जहाना खातून बिल्डिंग में फंस गई थी जिससे उनका दोनों पैर टूट गया। शाहबाज आलम का एक पैर टूट गया है। जिसका इलाज काठमांडू में एनडीआरएफ की टीम कर रही है। मंगलवार को 40 मजदूर अपने परिवार के साथ अपना वतन वापस आए और पीड़ित सहित शेष 100 से 150 मजदूर भी मंगलवार को प्रस्थान कर चुके है। बुधवार तक गृह गांव पहुंच जाएंगे। मुश्किलों को मात देकर पहुंचे गांव: सीधे गांव आने का रास्ता बंद गया है। प्राइवेट वाहन से वे लोग अपने-अपने घर वापस आए है। वतन लौटने में भारत सरकार और नेपाल सरकार द्वारा कोई सहयोग नहीं मिला। एक मात्र अल्लाह के भरोसे गांव तक 40 लोगों ने मंजिल तय की।


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