भाषा के विकास पर ही हमारा अस्तित्व
संवाद सूत्र, किशनगंज : मैं मुख्य रुप से इस सीमांचल की लोकप्रिय सुरजापुरी भाषा के विकास के लिए आया हूं। मैं पूरी निष्ठा के साथ इस भाषा के विकास हेतु प्रयत्नशील रहूंगा। मैं इस भाषा को बिहार राष्ट्र भाषा परिषद के निदेशक के रुप में परिषद की ओर से अंगीकार करता हूं। आज का दिन सुरजापुरी भाषा के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। ये बातें कहीं है बिहार राष्ट्र भाषा परिषद के निदेशक डॉ. जय कृष्ण मेंहता ने। डॉ. मेहता सोमवार को मारवाड़ी कॉलेज परिसर में आयोजित राष्ट्र भाषा हिन्दी व अन्य लोक भाषाओं के संरक्षण व संवर्द्धन विषय पर आयोजित एक परिचर्चा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भाषा पर ही हमारा अस्तित्व निर्भर करता है। भाषा है तो हम है, हमें राष्ट्रभाषा हिन्दी के साथ-साथ अन्य लोकभाषाओं के संरक्षण व संवर्द्धन हेतु कृतिबद्ध होना पड़ेगा तथा विकास के लिए मिलजुल कर सम्मिलित प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि 23 दिसंबर से मैंने प्रभार ग्रहण किया है तबसे हमारी प्राथमिकता रही है कि राष्ट्र भाषा के विकास के साथ बिहार की समस्त लोक भाषाओं का विकास हो। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसी मत के पक्षधर हैं तो उनका विशेष आग्रह है कि बिहार के पूर्वोत्तर सीमांचल का मुख्य सुरजापुरी भाषा का विकास हेतु बिहार राष्ट्र भाषा परिषद सक्रिय भूमिका निभाए। इस परिचर्चा में भाग लेते हुए अंग्रेजी विभाग के डॉ. प्रो. गुलरेज रहमान ने भी सुरजापुरी मुहावरों, कथाओं, लोकोक्तियों, गीतों को संजोये जाने व उनके संयोजित रुप को प्रकाशित करने की वकालत की। प्रारंभ में मंच का संचालन कर रहे हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो.डॉ. सजल प्रसाद ने भी राष्ट्रभाषा के साथ देश की उन 17 बोलियों, भाषाओं की चर्चा की तथा कहा कि उनके सम्मिलित सहयोग से हिन्दी का रुप-स्वरुप समृद्ध हुआ है। राष्ट्र भाषा को उनकी जो देन है। हम उसे भुला नहीं सकते। वक्ता प्रो.डॉ. उमेश नंदन सिंहा ,मगध विश्वविद्यालय से आए प्रो. डॉ. देव नारायण देव, जदयू के जिलाध्यक्ष मास्टर मुजाहिद आलम, बिहार अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष प्रहलाद सरकार, साहित्कार हरि दिवाकर व राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. रामानंद ने भी अपने ढं़ग से राष्ट्र भाषा हिन्दी व अन्य लोक भाषाओं की प्रमुखता पर प्रकाश डाला। परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मारवाड़ी कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. संजय ंिसंह ने भी लोकभाषाओं की महत्ता का उद्घोष करते हुए उनके संरक्षण व संवर्द्धन की आवश्यकता पर बल दिया तथा बताया कि उनके संरक्षण व संवर्द्धन से ही राष्ट्र भाषा हिन्दी का वांछित विकास होगा।
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मैं इस भाषा को बिहार राष्ट्र भाषा परिषद के निदेशक के रुप में परिषद की ओर से अंगीकार करता हूं।
-डॉ. जय कृष्ण मेंहता
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