खतरे के बीच जारी है 'नाव का सफर'
खगड़िया। एक तरफ कोसी उफान पर है तो दूसरी तरफ मानसून की बारिश भी रुक-रुककर लगातार जारी
खगड़िया। एक तरफ कोसी उफान पर है तो दूसरी तरफ मानसून की बारिश भी रुक-रुककर लगातार जारी है। कोसी का जलस्तर बलतारा में खतरे के निशान (33.85) को पार करते हुए 34.39 मीटर की उंचाई पर बह रहा है। यहां कोसी का टेंडेंसी भी बढ़ने की है। जबकि, बागमती भी उफान पर है। संतोष स्लूईस में यह खतरे के निशान को पार कर चुकी है। इस वक्त 36.25 मीटर की उंचाई पर बह रही है।
ऐसे में उफनती कोसी को पार करना डुमरी पुल के यात्रियों के लिए चुनौती बना हुआ है। कोसी नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से जहां नदी की धारा तेज हो गई है, वहीं घाटों की दूरी बढ़ती ही जा रही है। जिससे नदी को पार करना नाविकों के साथ-साथ यात्री भी कोसी मैया का नाम लेकर नाव पर सवार हो गंतव्य स्थल की ओर रवाना होने के लिए विवश बने हुए हैं। आखिर डुमरी पुल के यात्रियों के पास विकल्प भी नहीं है।
वर्ष 2010 में बीपी मंडल सेतु क्षतिग्रस्त होने के बाद एवं 2014 में स्टील पाइल ब्रिज के कोसी नदी में बह जाने के बाद से लोगों को इन दिनों नाव से कोसी-बागमती नदी को पार करना एक मात्र साधन है। यात्रियों में पनसलवा के सुनील सिंह, मुरारी सिंह, मुन्ना सिंह ने बताया कि अबतक 4 निश्शुल्क नावों को परिचालन करवाया जाना 'उंट के मुंह में जीरा' साबित हो रहा है।
नदी के जलस्तर मे वृद्धि होने के कारण घाटों की दूरी बढ़ गई है, जिसे नाव से पार करने में लगभग एक घंटे का समय लग जाता है। ऐसे में जब सावन के आते ही कांवरियों का हुजूम घाट पर पहुंचता है। जबकि, इससे पूर्व ही क्षेत्रवासी ने और 6 बड़ी नाव परिचालन की मांग रखा था, जिसपर एसडीओ ने लोगों को बताया था कि जल्द से जल्द नाव का परिचालन करवाए जाने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। लेकिन अबतक जमीन पर कुछ अंतर नहीं दिखा है। इस संबंध में नाविक विरेन्द्र उर्फ कारे सहनी ने बताया कि कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है, घाटों की दूरी भी बढ़ गई है। ऐसे में सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी सजगता के साथ नाव परिचालन किया जा रहा है।