सड़कों के 'ब्लैक स्पॉट' पर ध्यान देने की है जरूरत
खगड़िया। वृद्धि के साथ ही घना कोहरा छाने लगा है। पथ से गुजरनी वाली गाड़ियां पीली लाइट के सहारे सड़क पर
खगड़िया। वृद्धि के साथ ही घना कोहरा छाने लगा है। पथ से गुजरनी वाली गाड़ियां पीली लाइट के सहारे सड़क पर चलती है। बावजूद प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पथों की खामियां राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
एक तरफ प्रखंड क्षेत्र की अधिकांश सड़कें जर्जर होकर दुर्घटना का प्रमुख कारण बन रही है। वही, दूसरी ओर अगर ऐसी पथों को छोड़ भी दी जाय तो शेष पथों में पनसलवा-बोबिल पीडब्ल्यूडी पथ के रोहियामा एवं सड़कपुर गांव के मोड़ के समीप बने पुल के पास अक्सर दुर्घटनाएं होती है। क्षेत्र में सड़क हादसा में प्रत्येक दो माह पर एक-दो लोगों की मौत हो जाती है और दर्जनों गंभीर रूप से घायल होते हैं।
सड़क की मरम्मत नहीं होने से हो जाती है दुर्घटना
जानकारों की मानें तो लोगों द्वारा पथों का अतिक्रमण कर कहीं मवेशी का चारा तो कहीं झोपड़ी बना लिया गया है। दूसरी ओर उक्त दोनों स्थल पर मोड़ के समीप बना पुलिया दुर्घटना का प्रमुख कारण बन गया है। जानकारों के मुताबिक सड़कपुर मोड़ के समीप बने पुलिया के पास ही हरिपुर गांव को जोड़ने वाली सड़क मिलती है। इसी तरह रोहियामा पुल के समीप आजादनगर गांव को जोड़नेवाली सड़क मिलती है। जबकि, पुल के एप्रोच पथ के समीप मोड़ पड़ने पर वाहन गति उक्त स्थल पर तेज हो जाती है। जिससे अक्सर दुर्घटना हो जाती है। उक्त दोनों स्थल पर डिवाइडर एवं रिफ्लेक्टर लगाए जाने से काफी हद तक दुर्घटना पर अंकुश लग सकता है।
वहीं, पीएमजीवाई उसराहा-चोढ़ली जमींदारी बांध पर बनी सड़क एक तो ¨सगल रोड है, दूसरा कई माह पूर्व रेन कट के कारण इस पर गड्ढा बना हुआ है। यह स्थल दुर्घटना को हमेशा आमंत्रित करते रहता है। पथ के दोनों किनारे वन विभाग के द्वारा लगाए गए पेड़ की टहनी भी सड़क पर परेशानी उत्पन्न कर रहा है। इसी तरह एनएच 107 के रामनगर, शिवनगर चौक, पुरानी जीरोमाइल चौक, पिरनगरा चौक एवं माली चौक पर डिवाइडर लगाए जाने की आवश्यकता है।
पढ़ी गई = संजीव सौर