अगस्त हो या अक्टूबर, नौका ही सवारी
खगड़िया। कृषि क्षेत्र में अव्वल माने जाने वाले अलौली प्रखंड के कई गांव आज भी ऐसे हैं जहां पहुंचने के
खगड़िया। कृषि क्षेत्र में अव्वल माने जाने वाले अलौली प्रखंड के कई गांव आज भी ऐसे हैं जहां पहुंचने के लिये लोगों को अगस्त हो या अक्टूबर सालो भर नौका की ही सवारी करना पड़ता है।
दर्जन से अधिक गांव के लोगों के यातायात का साधन है नौका
मक्का की उपज को लेकर पहचान बना चुके अलौली प्रखंड के चेराखेरा व आनंदपुर मारन पंचायत मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। आज 21वीं शताब्दी में भी प्रखंड क्षेत्र के बहुत बड़े भू-भाग में बसे लोगों को नौका के सहारे ही प्रखंड मुख्यालय तक भी जाना पड़ता है। उपरोक्त दोनों पंचायत जाने के लिये पहले लोगों को कोसी और उसके बाद कमला नदी को पार करना पड़ता है। बताया जाता है 21 पंचायत के इस प्रखंड में चेराखेरा, आनंदपुर माड़न, खैरी खुटहा के चेराखेरा, मोहराघाट, तिरासी, कचना, मछवारी, बोहरवा, प्रास, भराठ, पिपरपांती, हरदिया, शिशवा, गोला, सोनमनकी, आनंदपुर प्रास, सुखासन, मारणडीह, श्यामघरारी, सोहरवा, बरियाही, अमौसी, झीमा, तिरासी, बोहरवा आदि के यातायात का नौका ही सहारा है। यहां बताते चलें कि जिला की सबसे चर्चित नौका दुर्घटना प्रखंड के फुलतोड़ा घाट में हुई थी, जब दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद फिर मोहनपुर चातर में भी नौका दुर्घटना हुई थी।
क्या कहते हैं ग्रामीण
चेराखेरा के पैक्स अध्यक्ष जोगिन्द्र महतो, मोहराघाट गांव के राजीव कुमार, कृष्ण केवट आदि ने बताया कि स्थानीय ग्रामीणों को दो नदी पार कर गांव आना पड़ता है, जिसके लिये प्रति व्यक्ति पांच रुपये व साइकिल व मोटरसाइकिल का पांच रुपये चुकाना पड़ता है।
इधर, अंचल पदाधिकारी राजीव कुमार ने कहा कि, विभागीय स्तर से 15 अक्टूबर तक ही मात्र नौका परिचालन होता है। अब तो एक भी घाट पर सरकारी नाव नहीं है।