बिना पुस्तक पढ़े आठवीं के विद्यार्थी दे रहे मूल्याकण परीक्षा
खगड़िया। सरकारी विद्यालयों में बच्चों की मूल्याकन परीक्षा बुधवार से आरंभ हो गई। इसे सरकारी व विभागीय
खगड़िया। सरकारी विद्यालयों में बच्चों की मूल्याकन परीक्षा बुधवार से आरंभ हो गई। इसे सरकारी व विभागीय कुव्यस्था की बानगी कही जा सकती है कि बिना पाठ्य पुस्तक पढे़ ही विद्यार्थियों को मूल्याकन परीक्षा देना पर रहा है।
नए सत्र को आरंभ हुए आठ माह से अधिक बीत चुका है। इस आठ माह में सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले आठवीं के बच्चे बिना पुस्तक के ही वर्ग की पढ़ाई कर रहे हैं। निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक तो लाख मजबूरी के बाद भी बच्चों के लिए पुस्तकें खरीद कर दे देते हैं। परंतु बात सरकारी विद्यालयों की करें तो बच्चों को अब तक सही ढंग से पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं हो सका है। बच्चे बिना पुस्तक के ही पढ़ने को विवश हैं। सरकारी विद्यालयों के छात्र- छात्राओं को लगभग हर वर्ष यही स्थिति देखना पड़ता है। गत वर्ष मतलब पिछले सत्र में भी वर्ग सात व आठ के बच्चों को दिसंबर तक पुस्तक नहीं मिल सकी थी। इस साल भी वही स्थिति बनी है।
विद्यालयों में पुस्तक का हाल
वर्तमान में विद्यालय में वर्गवार पुस्तक नहीं मिल सकी है। प्रखंड में अब तक वर्ग आठ की पुस्तक की आपूर्ति ही नहीं हुई। जबकि, अन्य वर्गो के बच्चों के लिए आशिक तौर पर पुस्तक मुहैया कराया गया है जो बच्चों की संख्या के अनुपात में कम है। विद्यालयों में वर्ग आठ के बच्चों को अनुपलब्धता के कारण पुस्तकें नहीं दी जा रही है। कई विद्यालयों में शेष वर्ग के कुछ बच्चों को ही किताब मुहैया हो सकी है। जबकि, कहीं-कहीं वह भी नहीं मिल सका है।
क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय गोरैयाबथान के प्रधान मनोरंजन प्रसाद, मध्य विद्यालय बौरना के सुनील कुमार कहते हैं कि, अन्य वर्ग के बच्चों को तो किताब मिल गई है परंतु पुस्तकों की आपूर्ति नहीं होने के कारण वर्ग आठ के बच्चों को अबतक किताब नहीं मिली। जिससे पठन-पाठन में बच्चों के साथ शिक्षकों को भी परेशानी होती है। शिक्षक अपने स्तर पर वर्ग आठ के बच्चों को पाठ्य पुस्तक की जानकारी दिये हैं। ऐसे में बच्चों का मूल्याकन करना भी कठिन होगा। रामपुर के प्रधानाध्यापक परमानंद प्रसाद कहते हैं कि वर्ग आठ को छोड़ शेष वर्ग की पुस्तकें उन्हें अवश्य मिली परंतु बच्चों की संख्या से कम पुस्तक आई।
क्या कहते हैं अधिकारी
बीईओ इंद्रकात सिंह कहते हैं कि पुस्तक की आपूर्ति प्रखंड में जिस हिसाब से हुई, उसे विद्यालयों को मुहैया कराया गया। हा, वर्ग आठ की किताब अब तक प्रखंड में आपूर्ति ही नहीं हुई। यह तो जिला में भी उपलब्ध नहीं है। आठवीं के बच्चों का परीक्षा देना और उनके कॉपी का मूल्याकन करना कठिन होगा।