मवेशियों का चारागाह बना स्वास्थ्य उपकेंद्र
खगड़िया। स्वास्थ्य उपकेंद्र बड़ी लगार का भवन एवं प्रागण आज भी मवेशियों का रैन बसेरा बना हुआ है। लेकिन
खगड़िया। स्वास्थ्य उपकेंद्र बड़ी लगार का भवन एवं प्रागण आज भी मवेशियों का रैन बसेरा बना हुआ है। लेकिन पशुपालकों की दबंगई के कारण न तो एएनएम ही जुबान खोलने की साहस जुटा पा रहे हैं न ही अधिकारी कुछ कह रहे हैं। स्थिति यह है कि कार्यरत एएनएम झोला में दवाई लेकर आते हैं और शाम ढलते ही झोला लेकर मुख्यालय चले जाते हैं।
बताया जाता है कि दो दशक पूर्व विभाग द्वारा देहाती क्षेत्रों में समाज के अंतिम लोगों तक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने को लेकर लाखों रुपए की लागत से आवास, शौचालय, चापाकल आदि का निर्माण किया गया था। स्वास्थ्य उपकेन्द्र के निर्माण होने से स्थानीय लोगों में खुशी थी मरीजों को ठीक कर भेजा जा रहा था। लेकिन किसे पता था कि गिद्ध दृष्टि जमाए बैठे कुछ लोग इसे चलने नहीं देंगे। वर्तमान परिवेश में इस केन्द्र के भवन में पशुचारा, भूसा, जलावन एवं पशु बाधने का काम किया जाता है। इस गंदगी भड़े उपस्वाथ्य केन्द्र में किसी तरह एक कोने में बैठकर एएनएम कार्य करने को मजबूर हैं।
क्या है परेशानी
उपस्वास्थ्य केंद्र में पशुओं एवं पशुपालकों का जमघट रहने के कारण स्थानीय महिलाएं एवं बच्चियां इलाज कराने को लेकर केंद्र पर नहीं आते हैं। अधिकांश लोगों को बाहर से पता नहीं चल पाता है कि केंद्र खुला हुआ है। एएनएम आती है और अपना ड्यूटी बजा कर चली जाती है।
पीएचसी प्रभारी डा. पटवर्धन झा ने कहा कि उपस्वास्थ्य केंद्र को खाली कराने को लेकर कई बार प्रयास किया गया, लेकिन ऐसे लोग अपने व्यवहार से बाज नहीं आ रहे हैं।