आम हड़ताल से 45 करोड़ का कारोबार प्रभावित
खगड़िया। ट्रेड यूनियन समन्वय समिति की ओर से आहूत बंद के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर विभिन्न संगठनों के द्
खगड़िया। ट्रेड यूनियन समन्वय समिति की ओर से आहूत बंद के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर विभिन्न संगठनों के द्वारा बुधवार को किए गए हड़ताल से जन-जीवन पर व्यापक असर दिखा। बैंकिंग व डाकघरों में हड़ताल से जिला में लगभग 45 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ।
बैंकिंग सेक्टर में भारतीय स्टेट बैंक, बिहार ग्रामीण बैंक को छोड़कर लगभग सभी बैंकों के कर्मी हड़ताल पर रहे। जबकि डाकघर, आशा-ममता फेसीलेटर, मध्याह्न भोजन कर्मी आदि हड़ताल पर डटे रहे। इसे लेकर बैंक, डाकघर, सदर अस्पताल, पीएचसी, एमडीएम आदि का कार्य प्रभावित रहा।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक हड़ताल से बैंक का करीब 44 करोड़ एवं डाकघर के डेढ़ करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ। बैंकों में हड़ताल रहने से ग्राहक परेशान दिखे। काफी ग्राहक अपने-अपने कार्य को लेकर बैंक पहुंचे थे। जिन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। बैंक से लौट रहे ग्राहकों में नाराजगी दिखी। हालांकि एटीएमधारी को निकासी में सहुलियत हुई।
इधर, राष्ट्रीय डाक कर्मचारी संघ, वर्ग तीन के द्वारा मुख्य डाकघर खगड़िया में प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व संघ के प्रमंडलीय उपाध्यक्ष अरविंद कुमार वर्मा ने किया। सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार सातवें वेतन आयोग को लागू करने में नाहक देरी कर रही है। एक जनवरी 2014 से ही सातवें वेतन आयोग को लागू किये जाने की उन्होंने मांग दुहराई। इसके अलावा डाक विभाग को निगमीकरण नहीं किये जाने, सभी रिक्त पदों पर शीघ्र बहाली आदि की मांगों को रखा। इस अवसर पर प्रदीप कुमार, सिकंदर ठाकुर, उपेन्द्र साह, वैद्यनाथ मंडल, उपेन्द्र साह, मुनीलाल साह, मृत्युंजय कुमार, मो. हुसैनी, मो. जियाउद्दीन, मुंकुंद कुमार, केदार ठाकुर, रविन्द्र कुमार आदि मौजूद थे।
दूसरी ओर आशा-ममता फेसीलेटर, गोपगुट, रसोईया संघ, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका आदि ने समाहरणालय पर धरना दिया। धरना को वामपंथी पार्टियों का समर्थन रहा। मौके पर सीपीआईएम के जिला सचिव संजय कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में अच्छे दिन का नारा, भ्रष्टाचार की समाप्ति, रोजी रोजगार की गारंटी के नाम पर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए केन्द्र सरकार में आई। मोदी सरकार सत्ता संभालते ही नव उदारवादी आर्थिक नीतियों जो पूर्ववर्ती सरकार की थी। उसे और भी क्रूर तरीके से लागू कर रही है। जिस कारण केंद्र सरकार जनता से किए गए वादों के विपरीत एक से एक जन विरोधी और मजदूर विरोधी नीति अपना रही है। धरना को सुभाष सिंह, प्रभाशंकर सिंह, सीपीआई जिला परिषद के सचिव प्रभाकर प्रसाद सिंह, जितेन्द्र कुमार, अरूण दास, किरणदेव यादव आदि ने भी संबोधित किया।
इधर, बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन के जिला महासचिव कुमारी निर्मला ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए सेविका को क्लास तीन, सहायिका को क्लास चार के रूप में समायोजित किया जाय। उन्होंने कहा कि जब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता है, तब तक के लिए सेविका को 15 हजार और सहायिका को 10 हजार रुपए मानदेय दी जाय। वहीं जीविका को टीएचआर कि राशि नहीं दिए जाने की भी मांग उठाई गई। इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष वीणा यादव, मालिनी सिंह, मीनाक्षी कुमारी, गौड़ी देवी आदि मौजूद थे। इससे पूर्व आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, रसोईया संगठन, ममता आदि द्वारा शहर में प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में शामिल महिलाएं सरकार के विरोध में नारा लगाते हुए समाहरणालय द्वार पर पहुंची।