पुत्र तीन, मगर वनवास में है पिता
महेशखूंट, खगड़िया, संवाद सुत्र: लोग पुत्र की आकांक्षा इसलिए करते हैं कि वह बुढ़ापे का सहारा बनेगा।
महेशखूंट, खगड़िया, संवाद सुत्र: लोग पुत्र की आकांक्षा इसलिए करते हैं कि वह बुढ़ापे का सहारा बनेगा। इसके लिए वे काशी करवट भी करते हैं। मेहनत मजदूरी कर पहले बच्चे का पेट भरते हैं। फिर बचा-खुचा खाकर गुजारा करते हैं। लेकिन पुत्र बड़ा होकर जब मुंह फेर ले और दुश्मन जैसा व्यवहार करे तो फिर बूढ़ा पिता अपनी फरियाद लेकर किसके पास जाए। ठीक यही स्थिति गौछारी पंचायत के मानसी टोला निवासी 80 वर्षीय पारो दास की है। पारो ने पत्रकारों को बताया कि वह अपने बड़ा पुत्र सालो के डर से भागा फिरता है। पति-पत्नी दोनों मिलकर पीटता है। एक माह से वृद्ध कभी रेलवे स्टेशन तो कभी बगीचा में रहने को विवश है। भोजन के लिए वह लोगों के रहम पर रहता है। सालो का कहना है कि वह अकेले रहे या कमा कर खाए। इस अवस्था में वह क्या करे।
बताते चलें कि पारो की पत्नी कलती देवी का निधन 20 वर्ष पूर्व हो गया। पारो के तीन पुत्र हैं। सबसे छोटा पुत्र उदय दास अपने ससुराल में बस गया। बड़ा पुत्र सालो दास ड्राईवर है जो अक्सर गांव के सरपंच साहब की गाड़ी चलाता है। मंझला पुत्र अवधेश दास नाच मंडली में काम करता है। वृद्ध पिता अवधेश के साथ रहकर गुजारा करता था। किन्तु, सालो एक दिन पिता की जमकर पिटाई कर दी। इस कारण दोनों भाईयों के बीच विवाद हुआ, जो न्यायालय में मामला चल रहा है। यही वजह है कि सालो पिता को अकेले रहने को कहता है। पारो ने बताया कि वह एक आवेदन लेकर एसपी मैडम के यहां गया था। कहा गया महेशखूंट थाना चले जाना, समस्या का हल हो जाएगा। पारो अब थाना का चक्कर लगा रहा है। वर्दी में देख हर किसी के पास अपना दुखरा बयां करता है। शायद उसका आवेदन थाना तक आया ही नहीं है।