'कर्म से ही होता है फल का निर्णय'
संवाद सूत्र, बेलदौर (खगड़िया): भगवान को पाना है तो सच्ची आस्था के साथ उनपर ध्यान लगाना होगा। जिस तरह
संवाद सूत्र, बेलदौर (खगड़िया): भगवान को पाना है तो सच्ची आस्था के साथ उनपर ध्यान लगाना होगा। जिस तरह से कृष्ण के बंशी की धुन पर गोपियां पागल हो जाती थी। गोपियां खाना बनाने के दौरान चीनी के जगह नमक डाल देती थी। प्रभु को पाने के लिए भरोसा करना होगा। भक्त जब भगवान पर भरोसा करते हैं तो भगवान भरोसा को नहीं तोड़ पाते। जैसा कर्म करोगे फल भी वैसा ही मिलेगा। उक्त बातें संत वर्षा नागर ने प्रवचन के दौरान बेलदौर में कही। स्थानीय गांधी इंटर विद्यालय के मैदान में जारी श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन मंगलवार को संत सुश्री वर्षा नागर ने बताया कि त्याग करो भगवान के पास पहुंच जाओगे। जिस तरह से बांस की बांसुरी प्रभु के होठों के पास रहा करता है। उन्होंने बताया राजा परीक्षित ने गुरु सुखदेवजी महराज से 56 भोग के रहस्यों के बारे में पूछा तो गुरू ने जबाव देते हुए कहा कि कन्हैया गोपियों को वर्षा से बचाने के लिए सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपने उंगली पर ही उठा रखे थे। कन्हैया एक दिन में आठ बार भोजन करते थे। इस तरह यशोदा मैया ने 56 भोग बनाकर कन्हैया को भोजन करवाया अर्थात भोजन बनाने के बाद तुलसी के पत्ते पर बनाए गए भोजन का भोग लगाने से उसके घर में कभी गरीबी नहीं रहेगी। गौ माता की सेवा करने एवं गाय के पीठ को हर रोज सहलाने पर कोई बीमारी नहीं हो सकता है। भागवत ज्ञान गंगा का आगाज मुखिया कुमारी बेबी रानी एवं मेला कमेटी के अध्यक्ष संजय शर्मा के द्वारा आरती उतारने के साथ ही आरंभ हुआ। कथा को संपन्न कराने के लिए श्रवण भगत, शंकर कुमार, विरेन्द्र कुमार, वरूण, सरूण, मुकेश, मुरारी कुमार लगे हुए है।