चातुर्मास का मतलब प्रभु को रिझाने का सुनहरा अवसर: माताजी
कटिहार। चातुर्मास धर्म ध्यान करने का मौसम है और इस चार माह में अगर हमने अपने जीवन को प्रभु
कटिहार। चातुर्मास धर्म ध्यान करने का मौसम है और इस चार माह में अगर हमने अपने जीवन को प्रभु के चरणों में नहीं लगाया तो सब कुछ बेकार। इन्हीं चार माह में मोक्ष सप्तमी, रक्षाबंधन, पर्युषण पर्व, दशहरा, दीपावली आदि सभी आते हैं। इन चार महीनों में प्रभु का ध्यान करने का विशेष अवसर प्राप्त होता है। इसे किसी भी भक्तों को गंवाना नहीं चाहिए। यह बातें परम पूज्या श्रमणी ज्ञानमूर्ति गणिनी आर्यिकारत्न 105 विन्ध्यश्री माताजी ने दिगंबर जैन मंदिर बारसोई में चल रहे पावन वर्षायोग चातुर्मास में चल रही कल्याण मंदिर स्तोत्र के दौरान कही। उन्होंने कहा कि जो भी भक्त इन चार महीने में जमकर धर्म की कमाई करते हैं, वैसे भक्त बाकी के आठ महीने कुछ ना भी करें तो काम चल जाएगा। माताजी ने धर्म की विशेषता बताते हुए कहा कि इंसान धन के पीछे धर्म को छोड़ता जा रहा है, परंतु अंत समय में धर्म ही हमारा सच्चा साथी साबित होता है। उन्होंने कहा कि इस चार महीने में इन्होंने धर्म ध्यान नहीं किया उनका जीवन शून्य से भर जाता है। ज्ञात हो कि विन्ध्यश्री माताजी परम पूज्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज की परम योग्य शिष्या है और इनका चातुर्मास के क्रम में बारसोई दिगंबर जैन मंदिर में पदार्पण हुआ है। इसको लेकर बारसोई जैन समाज में हर्षोल्लास का वातावरण है। सभी लोग पूजनीय माता जी के मंगल धर्म गंगा रुपी वाणी का लाभ ले रहे हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में मंदिर कमेटी के हुलास चंद्र जैन, विजय कुमार जैन, वीरेंद्र कुमार जैन, अजीत कुमार जैन, राजकुमार जैन, दिलीप कुमार जैन, गणपत कुमार जैन, तेजपाल जैन, प्रदीप कुमार जैन, मंजू देवी गंगवाल, संतोषी देवी जैन, सरला देवी जैन, मुकेश कुमार जैन, तेजपाल गंगवाल, मंजू देवी गंगवाल, ¨प्रसी कुमारी जैन, ऋषभ कुमार जैन, नवीन कुमार जैन आदि अहम भूमिका निभा रहे हैं।