बच्चों के मामलों में संवेदनशील रहें अधिकारी
कटिहार। जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश्वर तिवारी के आदेश के आलोक में विधिक सेवा प्राधिकार भवन में किश
कटिहार। जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश्वर तिवारी के आदेश के आलोक में विधिक सेवा प्राधिकार भवन में किशोर से संबंधित मुकदमों को लेकर बैठक आयोजित की गयी। बैठक में मुकदमों के कार्रवाई से संबंधित व्यवस्था, किशोरों के मामले में उनके रहने, खाने, पढ़ने एवं सुधार गृह की व्यवस्था, किशोरों के केसों के त्वरित निष्पादन आदि पर विशद चर्चा हुई। उच्च न्यायालय पटना की मानिटरिंग में बैठक की गई। बैठक की अध्यक्षता अपर प्रधान न्यायाधीश चंद्रशेखर प्रधान ने की। इस अवसर पर जेजे बोर्ड के अध्यक्ष सबा आलम, विधिक सेवा प्राधिकार के स्थायी न्यायिक सदस्य अशोक कुमार राय, एएसपी छोटे लाल प्रसाद, बाल संरक्षण से संबंधित पदाधिकारी, जिले के सभी एसएचओ सहित पैनल सदस्य सहित अन्य संबंधित लोग उपस्थित थे। न्यायाधीश श्री प्रधान ने कहा कि अगर कोई किशोर से संबंधित मामले थाना में आते हैं एवं पहली नजर में देखने से लगता है कि वह किशोर होगा तो उसके साथ अन्य अभियुक्तों की तरह व्यवहार करना अनुचित है। श्री प्रधान ने कहा कि अगर कोई मानसिक रूप से विक्षिप्त है और उस पर कोई मुकदमा हो गया है। उस संबंध में संबंधित न्यायिक पदाधिकारी को सूचित कर विधि सम्मत कार्रवाई करते हुए उसके विरुद्ध की कार्रवाई समाप्त करवाई जा सकती है। श्री प्रधान ने कहा कि बच्चों से संबंधित मामलों के विचारण के लिए कानून द्वारा यह व्यवस्था किया गया है कि बच्चों को यह न लगे कि उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई की जा रही। विचारण का मुख्य उद्देश्य है कि किशोर को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कार्य किया जाए। इस अवसर पर किशोर बोर्ड के अध्यक्ष सबा आलम ने कहा कि जिन बच्चों को थाना से किसी भी मामले में लाया जाता है तो उसके साथ हमेशा यह बर्ताव करना है कि उसे यह न लगे कि उसके विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई की जा रही है। श्री आलम ने यह भी कहा कि बच्चों के मामले ऐसे पुलिस पदाधिकारी को मामले सौंपना चाहिए जो बच्चों की खास सुविधा का विशेष ख्याल रखते हों। हालांकि जेएम श्री आलम ने यह भी कहा कि अगर सुधार गृह से बच्चों को लाया भी जाता है तो उन पर खास ध्यान रखने की जरूरत है। यहां तक कि श्री आलम ने किशोर से संबंधित मामलों के निष्पादन बच्चों के साथ की जाने वाली व्यवहार, पढ़ाई, लिखाई से लेकर खाने-पीने तक की दुरूस्त व्यवस्था होनी चाहिए। इस अवसर पर न्यायाधीश श्री राय ने कहा कि बच्चे हमारे समाज के अंग होते हैं। किसी भी बच्चे से गलती हो सकती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसके लिए उसे सुधरने का उचित अवसर प्रदान नहीं दिया जाए। इस अवसर पर जेजे बोर्ड के सदस्य अजय कुमार पंडित, रिंकू दत्ता, डीपीओ लॉ मनोज कुमार पासवान, बाल संरक्षण पदाधिकारी अक्षय रंजन सिंह, सीएस डॉ. एससी झा, पैनल लॉयर सुरेश कुमार अग्रवाल, पवन कुमार द्विवेदी, रेखा कुमारी, मो. अहसन, वासुदेव लस्कर, श्रीकृष्ण मिश्रा, एसएचओ नरेश कुमार, नितेश कुमार चौधरी, पवन कुमार पासवान, रामबिहारी सिंह, असलम सर अंसारी, मो. अकमल, अशोक कुमार राय, टुनटुन पासवान, अनिल कुमार यादव, सुनील पासवान, सत्यनारायण राय, मुकेश राय, संजय दास, अनिरूद्ध प्रसाद सिंह, नुसरत जहां, शंखनाद सिंह, प्रदीप कुमार सिंह, विनोद कुमार सिंह, रंजीत कुमार चौधरी, किशोर कुमार, अजीत कुमार, संजीत कुमार, जेजे बोर्ड के प्रधान लिपिक सुधाकर सिंह एवं कर्मी राजीव कुमार झा आदि उपस्थित थे।