शहरी विकास में सुनिश्चित नहीं जन भागीदारी
कटिहार [नीरज कुमार]। नगर निगम क्षेत्र में विकास योजनाओं को लेकर जन सहभागिता का अभाव देखा जाता है। नि
कटिहार [नीरज कुमार]। नगर निगम क्षेत्र में विकास योजनाओं को लेकर जन सहभागिता का अभाव देखा जाता है। निगम की बैठकों में आए प्रस्ताव पर निर्णय लेकर योजनाओं को हरी झंडी दे दी जाती है। इस कारण संबंधित वार्डो में प्राथमिकता के आधार पर पूरी की जाने वाली योजनाओं पर अमल नहीं हो पाता है। निगम पार्षद द्वारा वार्ड की जनता के साथ मिल बैठकर न तो इस पर विचार विमर्श किया जाता है और न ही इस आधार पर सड़क, नाला निर्माण सहित अन्य विकास परक योजनाओं का खाका तैयार किया जाता है। जल निकासी की समस्या निगम क्षेत्र में विकराल रूप धारण कर रही है। लेकिन इसको लेकर महज बैठक कर प्रस्ताव पारित करने की औपचारिकता पूरी की जाती है। जन सहभागिता नहीं रहने के कारण कई स्थानों पर निर्माण कार्यो में स्थानीय लोगों द्वारा बाधा भी उत्पन्न की जाती है। अगर योजनाओं को शुरू करने के पूर्व स्थानीय लोगों से इस संबंध में विचार विमर्श किया जाए तो कई तरह की तकनीकि अड़चन को दूर किया जा सकता है। नगर निगम को नगर सरकार भी कहा जाता है। इसमें जनमत का भी विशेष प्रावधान है। लेकिन जन भावना को दरकिनार करने के कारण ही ट्रैफिक जाम एवं जल निकासी को लेकर अब तक कोई मास्टर प्लान तैयार नहीं किया जा सका है। कुछ यही स्थिति सड़कों के चौड़ीकरण के मामले में भी है। मुख्य सड़कों के किनारे अतिक्रमण के कारण निगम को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान भी लोगों एवं दुकानदारों के साथ निगम कर्मियों की नोंक झोंक आम बात है। संबंधित क्षेत्र के लोगों के साथ बैठक कर इसका स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। योजनाओं को लेकर जनता की राय जानना भी जरूरी है। जनसंवाद नहीं होने के कारण संबंधित वार्ड की मूलभूत समस्या सामने नहीं आ पाती है।