पहली बारिश से ही गांवों की डगर हुई कठिन
कटिहार। पहली बारिश से ही प्रखंड क्षेत्र के कई गांवों के लोगों की परेशानी बढ़ गयी है। इन गांवों के लो
कटिहार। पहली बारिश से ही प्रखंड क्षेत्र के कई गांवों के लोगों की परेशानी बढ़ गयी है। इन गांवों के लोगों को आवागमन की कठिन समस्या का सामना करना पड़ रहा है। महानंदा नदी का जलस्तर ज्यों-ज्यों बढ़ता जा रहा है, ऐसे गांवों के लोगों की समस्या उसी रफ्तार से बढ़ रही है। प्रखंड के बैरिया पंचायत अंतर्गत डब्लू ढाला पर पुल निर्माण नहीं होने के कारण वर्षो से हजारों की आबादी बरसात में पानी एवं कीचड़ पार कर मुख्य सड़क तक पहुंचने को विवश है। बैरिया, सिकटिया, इमामनगर, गड़बुधवा, रतनपुर, सोलकंधा, सीज टोला सहित दर्जनों गांवों की 15 हजार से अधिक की आबादी डब्लू ढाला पार कर बैरिया आजमनगर घाट पहुंचती है। ऐसे में पुल न रहने के कारण बरसात में यहां काफी पानी लगा रहता है एवं महानंदा नदी का जलस्तर बढ़ते ही डब्लू ढ़ाला विकराल रूप धारण कर लेता है। बांध के अंदर के गांव जलमग्न हो जाते हैं। ऐसे में लोग केले के थम्ब का नाव बना जान जोखिम में डाल डब्लू ढाला पार कर बांध पर पहुंचते हैं। बूढ़े, बच्चे एवं महिलाएं भी इसी बेढ़े के सहारे महीनों सफर तय करती है। प्रशासनिक विद्यालय सोलकंधा जाने के लिए भी शिक्षक-शिक्षिकाओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस पुल निर्माण की मांग वर्षो से स्थानीय लोग सांसद एवं विधायक से करते आ रहे हैं। महानंदा नदी का बढ़ता जलस्तर बांध के अंदर रसे-बसे गांवों के लिए समस्याओं का सैलाब लेकर आता है। चुनावी वायदों के अलावा इन लोगों के साथ कुछ नहीं लगा। विकास की किरण की आस में बैठे लोगों की आंखें पथरा गई है। स्थानीय लोगों में उमेश मंडल, मदन सिंह, जमुना सिंह, अमरेंद्र ठाकुर, नईम अख्तर, परवेज आलम, बबलू सिंह, तारा देवी, विमला देवी, अंजली देवी, जयकरण सानु, ओम प्रकाश राय, पप्पू सिंह सहित सैकड़ों ने इस पुल निर्माण की अनदेखी पर रोष व्यक्त किया।