भूकंप को लेकर सिसमिक जोन चार में है कोसी
नीरज कुमार, कटिहार : प्राकृतिक आपदा को लेकर कोसी का इलाका संवेदनशील है। बाढ़ और चक्रवात के बाद हर वर
नीरज कुमार, कटिहार : प्राकृतिक आपदा को लेकर कोसी का इलाका संवेदनशील है। बाढ़ और चक्रवात के बाद हर वर्ष भारतीय प्लेट के हिमालय की ओर खिसकने के कारण आने वाले दिनों में क्षेत्र के लोगों को भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा झेलने को तैयार रहना पड़ेगा। भूकंप को लेकर देश भर को पांच जोन में रखा गया है। ज्यूलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की सर्वे के मुताबिक कोसी का इलाका सिसमिक जोन चार के तहत आता है। भूकंप आने की संभावना को लेकर अति संवेदनशील माना जाने वाला जोन पांच में कोसी का नेपाल से सटा आंशिक भाग भी आता है। इस संबंध में भूगर्भशास्त्री अरूण कुमार बताते हैं कि यूरेशियन और इंडियन प्लेट के बीच घर्षण और तनाव के कारण भूकंप के झटके महसूस होते हैं। भारतीय प्लेट प्रति वर्ष तीन सेमी हिमालय की ओर खिसक रही है। जिसके कारण आने वाले समय में इस इलाके के लोगों को और तीव्र झटके सहने को तैयार होना पड़ेगा। पिछले तीन वर्षो में तीन बार कोसी क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। शनिवार को आधे घंटे के दौरान दो बार तीव्र और एक बार मामूली भूकंप के झटके को लोगों ने झेला। भूगर्भशास्त्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि सिसमिक जोन पांच के तहत आने वाले कोसी के आंशिक इलाकों में कभी भी साढ़े सात की तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। उत्तर बिहार में आने वाले भूकंप का केंद्र हर बार नेपाल और हिमालयन क्षेत्र होता है। हिमालय में केंद्र होने के कारण भूकंप की तीव्रता अधिक होती है। जिसके कारण नेपाल में तबाही तो होती है। उसके साथ जान माल की भी क्षति होती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जापान में आने वाले भूकंप भी इसी तीव्रता के होते है। लेकिन आपदा प्रबंधन को लेकर वहां खास रणनीति तैयार की गयी है। खतरनाक सिसमिक जोन में होने के कारण कोसी के इलाकों में भी आपदा प्रबंधन को और पुख्ता किए जाने की जरूरत है। कोसी का इलाका प्राकृतिक आपदा को लेकर संवेदनशील है। हाल के दिनों में बारिश कम होने के कारण क्षेत्र में निम्न दाब बन रहा है। जिसके कारण तूफान और वज्रपात कहर बरपा रहा है। हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलने को लोग विवश होते हैं। भूकंप व अन्य प्राकृतिक आपदा को लेकर संवेदनशील होने के कारण पुख्ता आपदा प्रबंधन किए जाने की जरूरत लोग अब महसूस करने लगे हैं।