प्रतिबंधित दवा आपूर्ति मामले में दो फार्मा कंपनी की फंसी गर्दन
जासं. कटिहार : जिले के कुर्सेला पीएचसी में प्रतिबंधित दवा आपूर्ति करने का मामला औषधि निरीक्षक की जां
जासं. कटिहार : जिले के कुर्सेला पीएचसी में प्रतिबंधित दवा आपूर्ति करने का मामला औषधि निरीक्षक की जांच में सामने आने के बाद बिना केंद्रीय औषधि नियंत्रक की अनुमति के फिक्सड डोज कंबिनेशन(एफडीसी) दवा बनाने के मामले में दो दवा कंपनियों पर शिकंजा कस सकता है। केंद्रीय औषधि निदेशालय इसेंसियल ड्रग लिस्ट से इतर दवा तैयार करने को लेकर औषधि निरीक्षक ने जांच के बाद इस मामले में लार्क और नयन फार्मा कंपनी को पक्ष स्पष्ट करने को कहा है। बताते चलें कि अप्रैल 2013 में दवा खरीद में घपलेबाजी व प्रतिबंधित दवा आपूर्ति का मामला तत्कालीन जिला पदाधिकारी के निर्देश पर करायी गयी जांच में सामने आयी थी। इस मामले को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर दो माह पूर्व हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गयी थी। पांच दिन पूर्व कुर्सेला पीएचसी की जांच में एक बार फिर मामला सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग में टेंडर के खेल में चहेते आपूर्तिकर्ता और दवा कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बिना पीएचसी से दवाओं की आवश्यकता संबंधी जानकारी के लिए टेंडर निकाला जाता है। इस पूरे खेल में स्वास्थ्य विभाग में वर्षो से एक ही जगह जमे कर्मियों की अहम भूमिका रहती है। पांच दिन पूर्व हुई जांच में यह बात सामने आयी है कि दर्द निवारक दवा डेंट में एंटासिड कंपोजिशन मिलाया गया है। जो औषधि मानक के विपरीत है। इसी तरह का मामला एंटी डायरियल दवा क्लोकसिन टेबलेट में सामने आया है। पूर्व के जांच में आपूर्ति किए गए दवाओं का बिना सत्यापन के भंडारित किए जाने पर भी सवाल उठाए गए थे। चिकित्सकों के मुताबिक एफडीसी दवा के सेवन से लीवर व किडनी पर असर होता है।
दवा कंपनियों ने भेजी रिपोर्ट
इस संबंध में उक्त दोनों दवा कंपनियों ने कटिहार के सिविल सर्जन को फैक्स के माध्यम से अपनी रिपोर्ट भेज दी है। जिसमें कहा गया है कि कंपनी ने केंद्रीय औषधि नियंत्रक के दिशा निर्देश पर मानक के अनुरुप दवा को बनाया है।