Move to Jagran APP

मनरेगा की धीमी रफ्तार से 'दादन प्रथा' को लगे पंख

संवाद सूत्र, अमदाबाद (कटिहार) : प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा की गति धीमी पड़ने से एक बार फिर मजदूरों का

By Edited By: Published: Mon, 20 Apr 2015 01:32 AM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2015 01:32 AM (IST)
मनरेगा की धीमी रफ्तार से 'दादन प्रथा' को लगे पंख

संवाद सूत्र, अमदाबाद (कटिहार) : प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा की गति धीमी पड़ने से एक बार फिर मजदूरों का पलायन तेज हो गया है। इसी तरह प्रवासी मजदूरों के लिए कोढ़ साबित होती रही दादन प्रथा को भी बढ़ावा मिल रहा है।

loksabha election banner

क्या है दादन प्रथा : दादन के तहत प्रखंड के विभिन्न गांवों के मजदूरों को ठेकेदार व उनके एजेंट कुछ अग्रिम राशि देकर उन्हें अच्छा काम दिलाने का झांसा देकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा सहित विभिन्न प्रदेशों में ले जाते हैं। वहां उससे बंधुआ मजदूर की तरह काम लिया जाता है। मजदूरों को काम के अनुसार भुगतान भी नहीं मिलता है। कई बार यातनाएं देने की बात भी सामने आयी है। यह स्थिति ग्रामीण इलाकों में दादन प्रथा के नाम से जानी जाती है।

क्या कहते हैं लोग : अमित चौधरी, ओम प्रकाश चौधरी, कार्तिक मंडल, सहदेव दास, बेचन मंडल आदि मजदूरों ने बताया कि कई माह से मनरेगा योजना में कार्य नहीं मिल रहा है। परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल है। ऐसे में तमाम कठिनाइयों के बाद भी परदेश में मजदूरी करने की विवशता है। दादन के संबंध में कहा कि उन्हें कुछ अग्रिम राशि मिल जाती है। जिससे कुछ दिनों तक परिवार का गुजारा हो जाता है। कई बार दादन के तहत परदेश में उन्हें ले जाकर बंधुआ मजदूर की तरह खटाया जाता है, लेकिन परिवार के भरण-पोषण हेतु सब कुछ करना पड़ता है।

क्या कहते हैं अधिकारी : मनरेगा के पीओ प्रियरंजन सुजीत ने कहा कि मनरेगा में सरकार द्वारा सुधार किया गया है ताकि मजदूरों को बैंक खाते के माध्यम से मजदूरी का भुगतान हो। पुराने लंबित राशि का भुगतान किया जा रहा है एवं नए प्रारूप से जल्द ही योजना शुरू होने की संभावना है। मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.