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रेल बजट निराशा जनक, मोदी सरकार का वाइडिंग अप बजट!

जागरण संवाददाता, कटिहार : गुरूवार को लोक सभा में रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा पेश रेल बजट में किसी

By Edited By: Published: Fri, 27 Feb 2015 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 27 Feb 2015 01:00 AM (IST)

जागरण संवाददाता, कटिहार : गुरूवार को लोक सभा में रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा पेश रेल बजट में किसी नई परियोजना या रेल परिचालन की घोषणा नहीं किए जाने से इस आशंका को बल मिल रहा है कि कहीं यह रेल बजट सरकार का वाइडिंग अप (समापन) बजट तो नहीं है। वैसे भी केंद्र सरकार ने पूर्व में रेल बजट को आम बजट की तरह पेश किए जाने की बात कही थी। रेल बजट में नई रेल परियोजना, ट्रेनों के परिचालन को लेकर किसी तरह की घोषणा नहीं किए जाने से जनआंकाक्षा की कसौटी पर यह बजट पूरी तरह नहीं उतर पाया है। ट्रेन की महिला बागी में सीसीटीवी लगाने एवं चार हजार महिला कांस्टेबल की बहाली जरूर स्वागत योग्य घोषणा है।

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-पूर्व की योजनाओं पर नहीं हुई चर्चा

कटिहार रेल मंडल क्षेत्र के लिए पूर्व में की गयी घोषणएं अबतक पूरी नहीं की जा सकी है। कई घोषणाएं तो बंद फाइलों में धूल फांक रही है। तीन वर्ष पूर्व गुवाहाटी से वाया कटिहार भगत कोठी तक रेल परिचालन की घोषणा की गयी थी। लेकिन इस बीच तीन रेल बजट पेश होने के बाद भी यह ठंडे बस्ते में पड़ी है। वहीं मुजफ्फरपुर से वाया कटिहार-यशवंतपुर तक जाने वाली साप्ताहिक ट्रेन की फेरी बढ़ाने संबंधी घोषणा को भी पूरा नहीं किया जा सका है। मनिहारी से भालुका रोड तक रेल लाइन बिछाए जाने की दिशा में भी किसी तरह का प्रस्ताव रेल बजट में नहीं लिया जा सका। वहीं बथनाहा से विराटनगर के बीच इंडो-नेपाल रेल लाइन परियोजना भी महज घोषणा भर बनकर रह गयी। कुर्सेला से बिहारीगंज के बीच ट्रेन सेवा क्षेत्र के लोगों के लिए सपना ही बनकर रह गया है। पूर्व में प्रस्तावित अररिया किशनगंज, जलालगढ़ रेल लाइन परियोजना का सपना भी पूरा नहीं हो पाया। कटिहार स्टेशन पर लगायी जाने वाली स्केलेटर सीढ़ी एवं रैंप की मांग भी पूरी नहीं हो पायी। यात्री सुविधाओं के मामले में भी रेल मंडल अपने को ठगा महसूस कर रहा है। कटिहार से तेलता के बीच अतिरिक्त सवारी गाड़ी के परिचालन को भी हरी झंडी नहीं मिल पायी है। वहीं वर्षो पूर्व कटिहार में वैगन निर्माण फैक्ट्री के लिए अधिग्रहित 111 एकड़ जमीन पर गोल्फ मैदान रेलव ने बना दिया है।

-सुरक्षा उपायों की भी अनदेखी

ट्रेनों में महिला यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बजट में चार हजार महिला कांस्टेबल की बहाली की घोषणा जरूर की गयी, लेकिन महिलाओं के साथ छेड़खानी को लेकर संवेदनशील घोषित इस रेल मंडल में किसी अतिरिक्त प्रावधान की चर्चा नहीं की गयी। वहीं नशाखुरान गिरोहों पर नकेल कसने की दिशा में किसी तरह की कार्य योजना को लेकर प्रस्ताव नहीं लिया गया। स्टेशन परिसर में पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी किसी तरह की घोषणा नहीं होने से सुरक्षा मानक को पूरा किया जाना भगवान भरोसे ही रह गया। जीआरपी जवानों के बैरक एवं थानों की मरम्मत को लेकर किसी तरह का प्रावधान बजट में नहीं किया जा सका।

-कम नहीं हुआ यात्री किराया : अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने के बावजूद यात्री किराए में किसी तरह की कमी नहीं किए जाने से लोगों को निराशा हाथ लगी है। आम लोगों का कहना है कि वैश्रि्वक बाजार में तेल की कीमत घटने पर डीजल के दामों में कमी होने के बावजूद किराया नहीं घटाया गया है।

-पूंजी निवेश से बढ़ी निजीकरण की संभावना : रेल क्षेत्र में निजी निवेश से राशि जुटाने की घोषणा से निजीकरण की संभावना बढ़ी है। रेल क्षेत्र के छोटे छोटे कामों में भी निजी निवेश से कई लोगों को अपना रोजगार छिन जाने का भय भी सताने लगा है। निजीकरण की ओर कदम बढ़ाए जाने के संकेत से रेलकर्मियों में भी आक्रोश है। इसका सीधा असर व्यवसायिक कार्यो के लिए रेलगाड़ियों के उपयोग एवं रेलवे में भर्ती प्रक्रिया पर पड़ने की बात कही जा रही है।


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