कोसी में हर रोज दर्ज होते हैं एससी-एसटी उत्पीड़न के दो मामले
जागरण संवाददाता, कटिहार: सूबे में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार को लेकर पुलिस मुख्यालय स्तर से
जागरण संवाददाता, कटिहार: सूबे में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार को लेकर पुलिस मुख्यालय स्तर से कई कवायद शुरू की गयी है। लेकिन कांडों के निष्पादन में सुस्ती एवं अत्याचार के मामलों में सुसंगत धारा नहीं लगाए जाने के कारण इसका लाभ दोषियों को आसानी मिल जाता है। हाई प्रोफाईल मामले को छोड़ दें तो अधिकांश मामलों में निचली अदालत से दोषियों की रिहाई का आदेश होने के बाद उपरी अदालत में इसे चुनौती देने का काम भी पुलिस महकमा नहीं करती है।
एससी, एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम का कड़ाई से पालन नहीं होने का कारण उत्पीड़न के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सिर्फ कोसी क्षेत्र की बात करें तो प्रति दिन एससी, एसटी थानों में विभिन्न मामलों से संबंधित औसतन दो कांड प्रतिवेदित होते हैं। पिछले ग्यारह माह में कोसी के जिलों में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की हत्या के चार, दुष्कर्म के तीन, आगजनी के दो सहित विभिन्न मामलों के 630 मामले दर्ज किए गए हैं। कटिहार व किशनगंज जिले में आग लगाकर उत्पीड़ित करने के एक एक मामले सामने आए हैं। पूर्णिया जिले में सबसे अधिक उत्पीड़न के 155 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं किशनगंज जिले में सबसे कम 44 कांड प्रतिवेदित हुए हैं। अपराध अनुसंधान विभाग कमजोर वर्ग द्वारा एससी, एसटी उत्पीड़न के मामले में त्वरित विचारण एवं निष्पादन का निर्देश दिया गया है। लेकिन सुस्त पुलिसिया कार्रवाई के कारण निष्पादन की गति धीमी है। एससी, एसटी थानों में संसाधनों की कमी के कारण भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कोसी क्षेत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार के तहत पीसीआर एवं पीओए एक्ट के किसी तरह का मामला सामने नहीं आया है।
जिला- दर्ज मामलों की संख्या
कटिहार- 73
पूर्णिया- 155
अररिया- 79
किशनगंज- 44
सहरसा- 133
मधेपुरा- 66
सुपौल- 81