दो बीबियों के चक्कर में श्मशान से लौटा शव
संवाद सूत्र, सेमापुर (कटिहार) : दो बीबीयों का चक्कर आखिर श्मशान तक परेशानी का सबब बना रहा। सेमापुर ओ
संवाद सूत्र, सेमापुर (कटिहार) : दो बीबीयों का चक्कर आखिर श्मशान तक परेशानी का सबब बना रहा। सेमापुर ओपी क्षेत्र के सकरैली में कुछ ऐसा ही वाकया हुआ। स्थिति यह हुई कि मुखाग्नि देने को लेकर उत्पन्न हुये विवाद के चलते रेलवे के अवकाश प्राप्त कर्मी सह सकरैली गांव निवासी महेन्द्र उराव का शव काढ़ा गोला घाट से वापस लाना पड़ा। अंतत: जद्दोजहद के बाद गांव में ही उसका अंतिम संस्कार किया गया।
जानकारी के अनुसार महेन्द्र उरांव ने दो शादियां की थी। उसकी पहली पत्नी मोखो उराव व दूसरी मनोरवा देवी है। महेन्द्र उराव का देहात इलाज के दौरान सोमवार को हो गया था। उनकी मौत पर दूसरी पत्नी मनोरवा देवी व अन्य लोगों द्वारा उसे दफनाने हेतु काढ़ा गोला घाट ले जाया गया। घाट पर अंतिम संस्कार की कार्रवाई होने ही वाली थी कि इस बात की भनक उनकी पहली पत्नी मोखो उरांव को लग गयी। मोखो ने तत्काल इसकी सूचना सेमापुर ओपी को दी। साथ ही अपने बेड़े बेटे को अंतिम संस्कार का वाजिब हकदार बताते हुए इसमें पहल का अनुरोध पुलिस से किया। बाद में समाज के कई अन्य लोगों द्वारा मोखो की बात में दम देख तत्काल शव को काढ़ा गोला घाट से गांव मंगवाया गया। मंगलवार को बड़े पुत्र के आने के बाद उनका अंतिम संस्कार गांव में ही निजी जमीन पर करवाया गया। लोगों का कहना है कि मोखो उरांव की जिंदगी अब तक काफी कष्ट में बीती है। पति की मृत्यु उपरांत सरकारी लाभ की वह बराबर की हिस्सेदार हैं।