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किडनी प्रकरण: साजिश, सच्चाई या कुछ और!

-मामला ऑपरेशन के दौरान किडनी निकालने के आरोप का -स्थानीय जांच रिपोर्ट पर भी उठने लगे सवाल -आईवीप

By Edited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 06:49 PM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 06:49 PM (IST)
किडनी प्रकरण: साजिश, सच्चाई या कुछ और!

-मामला ऑपरेशन के दौरान किडनी निकालने के आरोप का

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-स्थानीय जांच रिपोर्ट पर भी उठने लगे सवाल

-आईवीपी एवं एमआरआई की जांच रिपोर्ट का स्वास्थ्य विभाग को है इंतजार

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कोट:-

इस मामले में डाक्टर के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है। पूरी जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। जरूरत पड़ी तो रिपोर्ट की विश्वसनीयता के लिए उच्च चिकित्सा संस्थान की भी मदद ली जाएगी।

क्षत्रनील सिंह, एसपी, कटिहार।

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संवाद सूत्र, कटिहार: शहर की महिला चिकित्सक के डा. रंजना झा के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान महिला रोगी की किडनी निकाल लिए जाने के आरोप के बाद नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज होते ही चिकित्सक एवं मरीज के बीच विश्वसनीयता, संदेह सहित कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं स्थानीय स्तर पर अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट की प्रमाणिकता भी संदेह के घेरे में आ गयी है। एफआईआर दर्ज होने के बाद इस मामले ने पूरी तरह अलग मोड़ ले लिया है। यह घटना आज से करीब छह माह पूर्व सामने आयी थी, जब प्राणपुर के महादेवपुर निवासी कौशल्या देवी नाम की महिला ने गुर्दे की पथरी के ऑपरेशन के दौरान किडनी निकाल लिए जाने को लेकर डीएम एवं एसपी के जनता दरबार में आवेदन दिया था। मामला सामने आने के बाद जिला पदाधिकारी ने एसडीओ, एसडीपीओ व एक सरकारी डाक्टर की टीम जांच के लिए गठित की थी। डाक्टर ने टीम में शामिल होने से असमर्थता जताते हुए स्वंय को अलग कर लिया। इसके बाद ही इस टीम का जांच कार्य भी बंद हो गया था। पुलिस अधीक्षक ने जनता दरबार में मामला आने के बाद सिविल सर्जन से इस मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी गयी थी। सिविल सर्जन इसके लिए महिला की आईवीपी एवं एमआरआई जांच के लिए अनुशंसा की थी। यह दोनों रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग की टीम को अब तक नहीं मिल पायी है। मार्च 2013 में ऑपरेशन कराने के दो माह बाद अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में दोनों किडनी मौजूद रहने एवं एक के सिकुड़ने की बात कही गयी थी। वहीं एक अन्य डाक्टर की रिपोर्ट में एक किडनी नहीं होने की बात कही गयी। जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि कटिहार ही नहीं पूरे बिहार में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है। इसके लिए एक ही ओटी में डोनर एवं एक्सेप्टर को भर्ती किया जाता है। किडनी निकालने के तुरंत बाद ही उसका प्रतिस्थापन दूसरे में किया जाता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि ऑपरेशन के दौरान किडनी के क्षतिग्रस्त होने या पहले से खराब होने की स्थिति में जान बचाने के लिए मरीज व उसके परिजनों की सहमति से ही सर्जन किडनी को रिमूव कर सकते हैं। एक चिकित्सक ने कहा कि पहली नजर में यह आरोप तथ्यहीन ही लगता है।

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जब थम गयी थी बेंगलुरू की ट्रैफिक

बेंगलुरू के एक अस्पताल में भर्ती एक लड़की को किडनी प्रत्यारोपित करने के लिए कुछ देर के लिए यातायात व्यवस्था रोक दी गयी थी। ताकि एम्बुलेंस को अस्पताल पहुंचने में कुछ भी विलंब नहीं हो।

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पहले भी लगे हैं आरोप

इसके पूर्व भी शहर के एक सर्जन पर किडनी निकालने को लेकर मरीज के परिजनों ने आरोप लगाते हुए हो हंगामा किया गया था। हलांकि बाद में यह आरोप पूरी तरह गलत साबित हुआ था।


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