अब भी झोला छाप चिकित्सक पर निर्भर दर्जन भर पंचायत के लोग
उप स्वास्थ्य केंद्र के बंद रहने से झोला छाप चिकित्सकों की कट रही चांदी
संवाद सूत्र, कदवा (कटिहार) : प्रखंड के लगभग एक दर्जन पंचायतों के लोग अब भी झोला छाप चिकित्सकों पर ही निर्भर है।
सरकारी स्वास्थ्य उपकेंद्रों के प्राय: बंद रहने या फिर कर्मियों का कार्य के प्रति उदासीनता के चलते बीमारी की अवस्था में मरीज झोला छाप चिकित्सकों के सहारे इलाज कराने को विवश हो जाते हैं। खासकर महानंदा तटबंध के अंदर बसे लगभग एक दर्जन पंचायतों में लोगों को स्वास्थ्य केंद्रों का लाभ नहीं मिल पाता है। यहीं हाल, सिकोरना, कुर्सेल, कदवा सहित अन्य स्वास्थ्य उपकेंद्रों का है। कदवा प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में स्थित उपकेंद्रों पर शायद ही कभी मरीज का दर्शन है। परिणाम स्वरूप लोग विवश होकर उक्त झोला छाप चिकित्सकों से इलाज कराते हैं। ऐसे चिकित्सकों के पास मरीजों को देने के लिए जेनरिक दवाएं होती है। जिसमें चिकित्सकों का भरपूर मुनाफा होता है। वहां पर इलाज कराने के क्रम में कई बार मरीजों की जान भी चली जाती है। खासकर तटबंध के अंदर बसे लोगों के के लिए दुरूह रास्ता भी एक कारण है कि ऐसे चिकित्सक से इलाज करवाना पड़ता है।
क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में ऐसे चिकित्सक है, जिनकी डिग्री आरएमपी की होती है, लेकिन वह सारे बीमारी के इलाज का दावा करते हैं। उससे मरीजों का भला हो या नहीं, लेकिन इनका भला जरूर होता है।
क्या कहते जनप्रतिनिधि : इस संबंध में धनगामा मुखिया नैयर आलम, धपरसिया मुखिया अकील अहमद ने कहा कि चौकी स्वस्थ्य उपकेंद्र बंद रहने के चलते मजबूरन मरीज झोला छाप से इलाज करवाने को विवश होते हैं। कई बार शिकायत के बाद भी स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक नहीं रहते हैं।
क्या कहते हैं चिकित्सक : इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एस.एन. राय ने कहा कि अगर स्वास्थ्य उपकेंद्र की शिकायत मिलती है तो उस पर कार्यवाही होगी।