बंगाल के ब्रेक से कोसी में 'उबला' आलू
फोटो- 24 केएटी- 7
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आलू के निर्यात पर रोक से कोसी के मंडियों से गायब हुई बंगाल की 'ज्योति'
स्थानीय कोल्ड स्टोरेज से आने वाली आलू पर निर्भर हुआ बाजार, कीमतों में लगातार जारी है उछाल
जागरण संवाददाता, कटिहार: पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रदेश से बाहर आलू भेजने पर लगायी गयी रोक से कोसी इलाके में आलू की कीमतों में उछाल आ गया है। कोसी की मंडियों में पश्चिम बंगाल की ज्योति नाम से चर्चित आलू अब नजर तक नहीं आ रही है। यहां की मंडियां पूरी तरह कोल्ड स्टोरेज से किसानों के माध्यम आने वाली आलू पर निर्भर हो गया है।
कोसी में गुलाबबाग, कटिहार व फारबिसगंज आलू की बड़ी मंडी मानी जाती है। कमोवेश यहीं से कोसी के सभी जिलों के बाजारों आलू पहुंचती है। पश्चिम बंगाल से सटे होने के कारण इन मंडियों में बंगाली आलू ज्योति की सहज उपलब्धता रहती थी। ऐसे में मई से दिसम्बर तक यानि अगता नया आलू निकलने तक भी आलू के भाव में कोई विशेष फर्क नहीं आता था। दो माह पूर्व पश्चिम बंगाल सरकार ने आलू के निर्यात पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इससे इन मंडियों में दो माह से बंगाल का आलू नहीं आ रहा है। कटिहार में आलू के थोक विक्रेता राजेन्द्र साह की मानें तो फिलहाल बाजार किसानों के माध्यम कोल्ड स्टोरेज से आने वाली आलू पर निर्भर है। इससे बाजार भाव में उछाल स्वभाविक है।
स्वाद में अव्वल है ज्योति
पश्चिम बंगाल का आलू कोसी इलाके में ज्योति के नाम से चर्चित है। यह आलू काफी स्वादिष्ट माना जाता है। लाल मिट्टी से रंगी यह आलू बाजार में अपनी अलग पहचान बना चुका है। इसकी अपेक्षा यहां का लोकल आलू कुछ कम स्वादिष्ट माना जाता है।
24 रुपये किलो बिक रहे आलू
कोसी के बाजार में फिलहाल आलू 24 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहे हैं। थोक में आलू दो हजार रुपये क्विंटल बिक रहे हैं। जबकि दो सप्ताह पूर्व बाजारों में 28 रुपये किलो तक बिकने लगी थी।