मानव व्यापार की दृष्टि से 20 जिले संवेदनशील
इन जिलों से वर्ष 2012 में गायब हुए 403 तथा 2013 में 281 बच्चे का कोई सुराग नहीं
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थाना में दर्ज प्राथमिकी व भौगोलिक स्थिति के आधार पर हुआ चयन
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कोसी के पांच जिलों में भी मानव व्यापार के आंकड़े चिंताजनक
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संवेदनशील जिलों में मानव व्यापार निरोध ईकाई कार्यरत
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कोट
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार यदि गुमशुदा बच्चा प्राथमिकी के चार माह के अंदर बरामद नहीं होता है तो ऐसे मामले को जिला स्तरीय मानव व्यापार निरोध ईकाई को अनुवर्ती अन्वेषण के लिए भेज दिया जाए ताकि लापता बच्चों के संबंध में गहन अनुसंधान हो सके।
: अरविंद पांडे, आईजी, कमजोर वर्ग, पटना।
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संवेदनशील जिले
कटिहार, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, खगड़िया, बेगुसराय, मधुबनी, भागलपुर, मुंगेर, वैशाली, बगहा, बेतिया, पटना, गया, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, सीतामढ़ी, सिवान
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कोसी पांच जिलों से बीते दो वर्षो में लापता बच्चे
जिला : 2012 :: 2013
कटिहार : 40 :: 35
पूर्णिया : 18 :: 18
सहरसा : 14 :: 07
अररिया : 03 :: 04
किशनगंज : 03 :: 22
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विनय कुमार अजय, कटिहार : भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने मानव व्यापार की दृष्टि से सूबे के 20 जिलों को संवेदनशील माना है। सीमावर्ती भौगोलिक स्थिति तथा मानव व्यापार के प्रतिवेदित कांडों के आधार पर इन जिलों में मानव व्यापार की रोकथाम पर जोर दिया गया है। इन संवेदनशील जिलों में कोसी के पांच जिले कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया को रखा गया है। जहां से बीते दो वर्षो में गायब हुए 164 बच्चों का कोई सुराग नही मिल पाया है। इतना ही नहीं सूबे सभी संवेदनशील जिलों में वर्ष 2012 में 403 तथा 2013 में गायब हुए कुल 281 बच्चों का कोई अता-पता नहीं है। इन जिलों की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने इन जिलों में मानव व्यापार निरोधी सेल को आवश्यक संसाधन मुहैया करवाए है। जिसमें चार पहिया/दो पहिया वाहन, दो मोबाइल, डिजिटल कैमरा, लैंड लाइन फोन, सुसज्जित कार्यालय सहित व्यय मद के लिए राशि का प्रावधान करते हुए गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को राशि उपलब्ध करवा दी है। जिसके बाद सूबे के डीजीपी ने सूबे के गृह सचिव को पत्र भेज कर इस दिशा में पहल का अनुरोध किया है। फिलहाल वर्ष 2012 तथा 2013 में सूबे में लापता बच्चों के आंकड़े में पटना से सबसे ज्यादा 99 बच्चे गायब है। जबकि सबसे कम अररिया में सात बच्चे गायब हैं।