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मनिहारी में गुस्साई गंगा : कटाव का दर्द, पलायन ही मर्ज

By Edited By: Published: Tue, 19 Aug 2014 07:05 PM (IST)Updated: Tue, 19 Aug 2014 07:05 PM (IST)

फोटो:- 19 केएटी- 15, 16, 17, 18, 19, 20

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कैप्शन:-

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मनिहारी में गंगा के कटाव ने सैकड़ों परिवारों को बनाया शरणार्थी

घर-द्वार तोड़ सुरक्षित स्थान पर पलायन कर रहे लोग, सूखे राशन का ही सहारा

आसमान के नीचे आए पीड़ित परिवार, सरकारी राहत का अब भी इंतजार

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प्रीतम ओझा, मनिहारी (कटिहार): यह हर साल की नियति है। घरौंदे बनते है फिर टूट जाते हैं। आंखों के सामने आशियाने बिखड़ते देखने की अब आदत सी पड़ चुकी है। जी हां मनिहारी के तटीय भागों में रहने वाले हजारों लोगों की यही सच्चाई है। गंगा की दी हुई पीड़ा झेलना मजबूरी बन गई है। हर साल की तरह इस बार भी हजारों लोगों के दर्द की दवा सिर्फ पलायन करना ही है। उंचे स्थानों की खोज में निहारती आंखे इन परिवारों की दर्द बताने के लिए काफी है। गंगा ने सैकड़ों परिवारों को अपने ही घर में शरणार्थी सा बना दिया है। आसमान के नीचे शरण लिए कई परिवारों के समक्ष भोजन के लाले पड़े हैं। जो कुछ अनाज बचा था अब समाप्त होने पर है। दर्जनों परिवारों का पेट मूढी और नमक के सहारे कट रही है। शासन और प्रशासन के लोग आए। दर्द में साथ रहने की बात कह कई घोषणाएं की लेकिन राहत का इंतजार अब भी है।

मनिहारी के बाघमारा पंचायत के महेशपुर दियारा के कटाव से पीडि़त लोगों में विस्थापन व पलायन की टीस साफ झलक रही है। पालीथिन टांग कर किसी तरह बचाने में किसी तरह रुखा-सूखा काट कर जिंदगी गुजार रहे हैं। ऐसे वक्त में सिर्फ इनके जानवर ही इनके साथ हैं। कटाव की पीड़ा व बारिश का कहर से लोगों की परेशानी बढ़ गई है।

विधायक मनोहर प्रसाद सिंह लोगों के दर्द को जानने जरुर पहुंचे। आला अधिकारी के कानों तक बात पहुंचाई गई। विधायक बताते हैं बैजनाथपुर, बाघमारा, बौलिया दियारा के बालू टोला व अवधपुर गांव के कटाव की चपेट में आने की आशंका है। विभाग के प्रधान सचिव व अभियंता को आवश्यक कार्रवाई के लिए पत्र भी भेजा। विधायक के अनुसार राहत की कोई सुगबुगाहट नहीं है। प्रशासन की नींद खुलने का अब भी पीड़ित परिवारों को इंतजार है।

फिलहाल बौलिया दियारा, बैद्यनाथपुर मौजा के पश्चिम टोला के 40 और महेशपुर सहनी टोला के 12 घर गंगा में विलीन हो गये हैं। गंगा किनारे बसे कई परिवार अपना आशियाना तोड़ कर सुरक्षित स्थान की तलाश में भटक रहे हैं। विस्थापित लोग सुरक्षित आश्रय स्थल बांध के किनारे गये तो कतिपय लोगों ने खदेड़ दिया। आश्रयहीन होकर खुले आसमान के नीचे अपने पूरे परिवार और माल मवेशी के साथ जिंदगी काटने को विवश हैं। बाघमारा, बौलिया, अवधपुर बांध पर कटाव से पीड़ित व प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। बौलिया दियारा, बाघमारा, बौलिया, अवधपुर तथा बांध कट जाने की संभावना जताई जा रही है।

दूसरी तरफ विभागीय अभियंता ने दावा किया कि स्थिति नियंत्रण में है। पल-पल पर नजर रखी जा रही है। इधर, प्रशासनिक बेरुखी से पीड़ित परिवारों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।


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