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मजहब नही सिखाता आपस में बैर रखना

By Edited By: Published: Mon, 28 Jul 2014 07:28 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jul 2014 07:28 PM (IST)
मजहब नही सिखाता आपस में बैर रखना

संसू, नुआंव(कैमूर) : सनातन धर्म का श्रेष्ठ श्रावण एवं इस्लाम धर्म के रमजान पर्व के एक साथ चलने से पूरा प्रखंड भक्ति मय वातावरण हो गया है। क्षेत्र में साम्प्रदायिक एकता की इबारत लिखने वाले दोनों सम्प्रदाय में मिल्लत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दावते इफ्तार दोनों तरफ से आयोजित हो रहे हैं। श्रावण माह की सोमवारी के व्रत एवं बोल बम के जत्थे में भी दोनों सम्प्रदाय के लोग कम या ज्यादा भागीदार होकर इस बात का संकेत दे रहे है कि अपने हिन्दुस्तान में साम्प्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं है। मस्जिदों से नमाज और मंदिरों से घंटे की आवाज व हर हर महादेव की जयघोष से पूरा वातावरण भक्ति मय हो रहा है। दोनों सम्प्रदाय के लोग ईद व नागपंचमी तथा रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर एक दूसरे को समर्पित हो गये हैं। नुआंव मंदिर के पुजारी आचार्य पारसनाथ पाण्डेय कहते हैं कि मजहब नहीं सिखाता आपस मे बैर रखना । इसलिये अलग अलग सम्प्रदाय के बाद भी हम सभी पहले इन्सान एवं भारत माता की संतान हैं। वही मस्जिद के इमाम हाफिज असरत अली का कहना है रंग रूप एवं भाषा तथा धर्म अनेक होने के बाद भी हम एक है इसी हमारी संस्कृति से भारत को सोने की चिड़ियां कहा गया है।

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