अब नहीं होगा तीन तलाक, छह माह के अंदर संसद में बनाए कानून
जमुई। सुप्रीम कोर्ट से तीन तलाक मामले में छह माह के भीतर कानून बनाने का फैसला आने के बाद
जमुई। सुप्रीम कोर्ट से तीन तलाक मामले में छह माह के भीतर कानून बनाने का फैसला आने के बाद तीन तलाक पर इस्लामी कानून पर बहस होने लगी है। लोगों ने तीन तलाक को लाइसेंसी हथियार के समान बताते हुए कहा कि गिने-चुने लोग तीन तलाक का दुरुपयोग कर रहे हैं जिनके कारण धर्म बदनाम हो रहा है। इस मामले पर जमुई के उलेमा व अन्य से राय ली गई। लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा कि धार्मिक कानून ही सही है। जरुरत इस बात की है कि सही तरीके से उस पर अमल किया जाए। जिला परिषद के उपाध्यक्ष जुवेदा खातून सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इत्तेफाक नहीं रखती है। इस मामले पर डिप्टी चेयरमैन ने स्पष्ट किया कि तीन तलाक जायज था, है और रहेगा। तीन तलाक देने के कुछ उसूल हैं। कोई इन उसूल की अनदेखी कर यदि तलाक दें तो वैसे लोगों के लिए अलग से कानून बनाने की जरुरत है। उन्होंने तीन तलाक को मजहब का कानून बताया। कहा पैगम्बर मुहम्मद ने 1400 साल पहले जो कानून बना दिया उससे बेहतर दूसरा कानून कोई नहीं बना सकता। कुरान हदिश के मुताबिक तीन तलाक जायज है। उलेमा बोर्ड के सचिव जिआउर रसूल गफ्फारी ने कहा कि संविधान के उपधारा 25 में धर्म के प्रति स्वतंत्रता है। इसमें किसी के हस्तक्षेप की जरुरत नहीं है। संविधान निर्माता व बाबा भीम राव अम्बेडकर ने भी संविधान की उपधारा 44 मुस्लिम समुदाय पर लागू नहीं होने की बात कही थी। धार्मिक मुद्दे पर छेड़छाड़ देश हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रति महिलाएं ज्यादा सतर्क रहती हैं। बताया जा रहा है कि मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक का विरोध कर रही हैं। उन्होंने कहा कि लाइसेंसी हथियार की तरह तीन तलाक के लिए कई नियम और कानून बने हैं। कुछ लोग कानून को दरकिनार कर इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। घरेलू महिला रजिया खातून ने कहा कि सरकार और कोर्ट के फैसले से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। इस्लाम धर्म में 1400 साल पूर्व पैगम्बर ने तीन तलाक का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि कानून और धर्म से इतर नई पीढ़ी की महिलाओं ने आजादी की कसमसाहट है। अब सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी तलाक को लेकर आगे आ रही हैं। जमुई आजाद नगर की अफशाना खातून ने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति ही देश की एकता और अखंडता की पूंजी है। सभ्यता और संस्कृति के साथ छेड़छाड़ करने की जरुरत नहीं है। शिक्षा के साथ महिलाओं को स्वावलंबी और स्वतंत्र होने के साथ ही खुद व खुद तीन तलाक के दुरुपयोग से मुक्ति मिल जाएगी।