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स्वच्छता अभियान--नई सोच के साथ ही बचेगी प्रतिष्ठा

जमुई। घर में शौचालय और उसका इस्तेमाल घर ही नहीं वरन समाज की भी प्रतिष्ठा को बचाता है।

By Edited By: Published: Thu, 29 Sep 2016 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2016 07:03 PM (IST)
स्वच्छता अभियान--नई सोच के साथ ही बचेगी प्रतिष्ठा

जमुई। घर में शौचालय और उसका इस्तेमाल घर ही नहीं वरन समाज की भी प्रतिष्ठा को बचाता है। साथ ही शौच से फैलने वाली बीमारियों से भी निजात पाई जा सकती है। इन्हीं कारणों से आज सभ्य समाज खुले में शौच से मुक्ति की राह पर निकल चुका है। बस सोच और मानसिककता बदल कर स्वच्छता अभियान को साथ देने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार ने कई प्रकार की योजना चला रखी है। बस आवश्यकता है तो योजना का लाभ उठाने की।

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29 पंचायत होंगे शौच मुक्त

जिला जल एवं स्वच्छता समिति जमुई तथा मनरेगा द्वारा जिले के 29 पंचायतों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का लक्ष्य 2017 तक रखा है। शौचालयों के निर्माण की योजना चल रही है। इस योजना के तहत एपीएल और बीपीएल दोनों के लाभ के दायरे में रखा गया है।

36 हजार शौचालय बनाने का लक्ष्य

जिला जल एवं स्वच्छता मिशन के तहत जिले भर के बीस पंचायत में 35998 शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिसके तहत एपीएल के लिए 12426 तथा बीपीएल के लिए 23572 शौचालय बनने हैं। अब तक उक्त योजना के तहत 3737 शौचालय का निर्माण ही हो सका है जो लक्ष्य से बहुत कम है।

जिले में नहीं है शौच मुक्त गाव

जमुई जिले के किसी भी गाव को शौच मुक्त गाव का दर्जा नहीं दिया गया है। हालाकि इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आकडों की बात करें तो विभाग के पास यह भी सही सही आकडा नहीं है कि जिले भर में कितने लोग खुले में शौच करते हैं। जिले भर के 1500 गावों की 20 से 30 प्रतिशत की आबादी अनुमानत: खुले में शौच करती है।

नप में भी हैं खुले में शौच की समस्या

जिला मुख्यालय होने के बावजूद जमुई शहर के एक बड़े इलाके के लोग खुले में शौच करते हैं। इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नगर परिषद द्वारा नहीं उठाया जा रहा है। जिस कारण नप की कई सड़कों पर शौच करना परम्परा बन गई है। कल्याणपुर, बिहारी, सिरचंद नवादा, सतगावा सहित अन्य क्षेत्रों में लोग आज भी खुले में शौच करते हैं। खासकर कल्याणपुर से ग्रीस टाकिज की ओर जाने वाली सड़क का बुरा हाल है। उक्त रास्ते से आम लोगों के लिए गुजरना भी मुश्किल है।

खत्म हो गई सिर पर मैला ढोने की परम्परा

सिर पर मैला ढोने की परंपरा खतम हो गई है। जिले भर में इस प्रकार की घटना या समाचार बीते कई वषरें से सामने नहीं आया है।

ये पंचायत होंगे शौच मुक्त

जिले के कुंधुर, रतनपुर, भुल्लो, पोहे, लखैय, मलयपुर, बामदह, चौफला, बलथर, दहियारी, आढ़ा, जामुखैरया, हथिया, बानपुर, रायपुरा, चिनवेरिया, हरला, इनदपै और थेगुहा पंचायत को जिला जल एवं स्वच्छता समिति द्वारा खुले में शौच से मुक्त करने का बीड़ा उठाया है। वहीं मनरेगा के तहत लखनपुर, दाविल, खरडीह, अबगिलला चौरासा, बरियारपुर, आनंदपुर, टेलवा, ढोढरी, रामचन्द्रडीह पंचायत को शौच मुक्त किया जाएगा।


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