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तीन लेयर ऑक्सीजन एप्रोच पर मल्टी मॉनीटर खराब

जमुई। ऑक्सीजन की कमी से यूपी के गोरखपुर अस्पताल में ब'चों की हुई मौत के बाद जिले में ब'चों के इलाज की व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Aug 2017 03:02 AM (IST)Updated: Sun, 13 Aug 2017 03:02 AM (IST)
तीन लेयर ऑक्सीजन एप्रोच पर मल्टी मॉनीटर खराब

जमुई। ऑक्सीजन की कमी से यूपी के गोरखपुर अस्पताल में बच्चों की हुई मौत के बाद जिले में बच्चों के इलाज की व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है। दरअसल, सदर अस्पताल में हाईटेक मशीन के साथ न्यू बॉर्न केयर सेंटर का संचालन किया जा रहा है। यकीनन यह व्यवस्था नवजात बच्चों के लिए जीवनदायी है लेकिन, व्यवस्था की हकीकत अस्पताल प्रशासन की उदासीनता को भी दर्शा रहा है। न्यू बॉर्न केयर सेंटर में नवजात बच्चों को रखने के लिए वार्मर, फोटोथेरेपी के साथ ऑक्सीजन के लिए तीन लेयर एप्रोच है। पहला ऑक्सीजन सिलेंडर, दूसरा ऑक्सीजन कन्संट्रेटर के अलावा सीपेप मशीन है। जिसके जरिये बच्चों को आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन मिलता रहता है। अहम बात यह है कि इन सारी व्यवस्थाओं के बीच बच्चों के शरीर की हर गतिविधियों यथा धड़कन, खून का संचार सहित अन्य अंगों की मॉनीट¨रग करने वाली मशीन मल्टी मॉनीटर खराब पड़ा है। शनिवार को न्यू बॉर्न केयर सेंटर में बच्चों के इलाज की व्यवस्था का जागरण ने जायजा लिया। ड्यूटी पर डॉ. अमित तैनात दिखे। उन्होंने बताया कि चार नवजात बच्चे भर्ती हैं। सेंटर में छह में से दो मल्टी मॉनीटर खराब है। हालांकि हाल के दिनों में इस सेंटर में नवजात बच्चों के भर्ती होने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, इस बात को डॉ. अमित स्वीकारते हैं। ऐसे में दो खराब मॉनीटर बच्चों के इलाज में बाधक बना है, यह भी सच है। इलाज की अन्य व्यवस्था पर जब ड्यूटी पर तैनात प्रशिक्षित नर्स शाहिना से पूछा गया तो उसने साफ तौर पर किसी भी तरह की जानकारी देने से इनकार कर दिया। शाहिना ने बताया कि अस्पताल मैनेजर ने सख्त हिदायत दे रखी है, लिहाजा वह कुछ बताने से असमर्थ है। यह तो व्यवस्था में कमियों को छुपाने का सच है लेकिन इसके पीछे लापरवाही का आइना भी दिख रहा है जो बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी होने पर तोहमत का एक कारण बनेगा।

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फोटो- 12 जमुई- 4

नर्स के भरोसे नवजात शिशु केन्द्र

झाझा : रेफरल अस्पताल में नवजात बच्चों की देखभाल के लिए वार्मर, फोटो थैरेपी व ऑक्सीजन कन्संट्रेटर तीन मशीन लगाए गए हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं होने के कारण ओपीडी अथवा लेबर रूम में ड्यूटी करने वाले चिकित्सक ही बच्चों का इलाज करते हैं, जबकि नवजात शिशु केन्द्र पूरी तरह नर्स निर्मला कुमारी के जिम्मे है। हालांकि रेफरल अस्पताल के शिशु केन्द्र में शनिवार को बच्चे नहीं थे। अस्पताल प्रबंधक गजेन्द्र कुमार बताते हैं कि सप्ताह में एक-दो बच्चे आते हैं। मशीन के जरिये पर्याप्त ऑक्सीजन देने की व्यवस्था है जिस पर अस्पताल का नियंत्रण होता है।


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