दो दशक बाद भी नहीं बन पाया मास्टर प्लान
जमुई। 15 अगस्त के बाद लगातार हुई बारिश ने जहां उमस भरी गर्मी से राहत दी है वहीं दूसरी ओर जमुई शहरवास
जमुई। 15 अगस्त के बाद लगातार हुई बारिश ने जहां उमस भरी गर्मी से राहत दी है वहीं दूसरी ओर जमुई शहरवासियों को परेशानी में डाला। जिला का दर्जा प्राप्त किए जमुई को दो दशक का समय होने को है परंतु जल निकासी का अब तक कोई मास्टर प्लान नहीं बन सका है। लिहाजा बरसात के दिनों में शहर की तस्वीर नगर परिषद को आइना दिखा जाती है।
सुंदर शहर हो अपना, हर शहरवासियों का सपना होता है। जमुई नगर परिषद की सकरी गलियां सरकारी जमीन का अतिक्रमण तथा लोगों की मानसिकता जल निकासी व्यवस्था में सबसे बड़ी समस्या बनी है। नप से सभी 30 वाडरें में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण है जिस कारण जल निकासी की व्यवस्था लचर अवस्था में है। शहर को सुंदर बनाने, स्वच्छ रखने तथा जल निकासी की समुचित व्यवस्था करने का मास्टर प्लान दो दशक में भी नहीं बन पाया है। छोटी-छोटी नालियों के भरोसे जल निकासी की कवायद उस वक्त दम तोड़ देती है जब कई दिनों तक लगातार बरसात होती है। मास्टर प्लान बनाने की बात आज भी हवा-हवाई है।
शहर के निचले इलाके में जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से नाले के साथ-साथ बरसात का पानी घरों में घुसने लगता है। बोधवन तालाब, पुरानी बाजार, नीमारंग, बिहारी, शास्त्री कालोनी सहित अन्य मुहल्ले में जल जमाव का दृश्य आम बात हो गई है।
नाला भर लगा दिया गया पेड़
नगर में जल निकासी की व्यवस्था कचहरी चौक स्थित नाले के पास दम तोड़ती नजर आती है। यहां पर कचहरी चौक से मलयपुर की ओर जाने वाला मुख्य नाला जमुई स्टेडियम के पास मिट्टी डालकर भर दिया गया है। साथ ही उक्त स्थान पर वन विभाग द्वारा पेड़ लगा दिए गए हैं। जिस कारण शहर का पूरा गंदा पानी टाउन हाल रोड होते हुए बिहारी व कल्याणपुर मुहल्ले में घुसने लगा है। जिस कारण यहां के लोग परेशान हैं।
क्या कहते हैं नप पदाधिकारी
नगर परिषद सुभाष कुमार कहते हैं कि जल निकासी के लिए एक करोड़ की लागत से बड़ा नाला बनाने का प्लान नगर विकास विभाग पटना को 2013 में ही भेजा जा चुका है। परंतु स्वीकृति नहीं मिलने के कारण कार्य अभी शुरू नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि नाला सफाई का कार्य तेजी से किया जा रहा है ताकि जल निकासी का आसानी से हो सके।