गर्मी की आहट से सुखने लगे हलक
संवाद सूत्र, चकाई (जमुई): प्रखंड में गिरते जलस्तर से पेयजल संकट गंभीर होता दिख रहा है। गर्मी की आहट मात्र से ताल-तलैया सूख गए हैं। इससे आमजनों के साथ ही पशु-पक्षी के समक्ष भी पेयजल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कभी नहीं सूखने वाला कुआ भी प्यास बुझाने की स्थिति में नहीं रह गया है। प्रखंड के 23 पंचायतों में स्थित 502 राजस्व गाव में 600 चापाकल मामूली रख-रखाव के अभाव में बंद पड़ा है। ये चापाकल पानी देने के बजाय मवेशी बाधने के काम आ रहे हैं। यदि युद्धस्तर पर इन सभी खराब चापाकलों को विभाग द्वारा मरम्मत करा दी जाए तो पेयजल संकट से निजात मिल सकती है। नौवाडीह पंचायत के पूर्व मुखिया संतोष सोरेन बताते हैं कि पीपरा आदिवासी टोला में तीन एवं चौधरी टोला में दो चापाकल तीन वषरें से खराब है। पीपरा वासी दो किलोमीटर दूर नदी का गंदा पानी पीने को विवश है। इसी तरह इसी पंचायत के जबरदाहा में तीन चापाकल, गोविन्दपुर में दो, उदयपुर में एक, रंगमटिया में एक, घटियारी में तीन, नेयवाडीह में एक, बड़ाडीह में दो, संघरा में तीन, नौवाडीह में दो, रंगनिया में तीन, मुकुन्दा में एक और बिचकोड़वा में तीन चापाकल खराब है। इसी तरह सभी 502 गांव में 600 से अधिक चापाकल विभागीय लापरवाही के कारण वर्षो से खराब पड़ा है। जिला पार्षद सुरेश राम ने कहा कि जिला परिषद की बैठक में खराब चापाकलों की सूची भी दी गई है। बावजूद इसके विभाग की निद्रा अबतक नहीं टूटी है। पीएचइडी द्वारा पेयजल संकट से निजात दिलाने हेतु माधोपुर में पम्प जलापूर्ति योजना के तहत वाटर टावर बनाया गया था जो उद्देश्य में सफल नहीं हो सका। इस टावर से लोगों को एक दिन भी पानी नहीं मिला है। प्रखंड में शुरुआती गर्मी में ही जलस्तर काफी नीचे चला गया। इसकी वजह से नदी-नालों का पानी सूख गया। जिसके चलते जंगली जानवर एवं पशु-पक्षियों का मरना शुरू हो गया है।
क्या कहते हैं पशु चिकित्सा पदाधिकारी
पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कुंदन कुमार बताते हैं कि प्रतिवर्ष प्रखंड में हजारों पक्षी गर्मी के मौसम में पानी के अभाव में दम तोड़ देते हैं। इन दुर्लभ पक्षियों को बचाने हेतु सभी बुद्धिजीवी अपने-अपने छत पर एक बर्तन में पानी रख दें। जिससे पक्षी पानी के बिना मरने से बच जाएंगे।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
इस बाबत पीएचइडी अभियंता मु. रहमान ने कहा कि विभाग से आदेश मिलने एवं मरम्मत का सामान दिए जाने के बाद बन्द पड़े चापाकलों की मरम्मत कराई जाएगी। यह मरम्मत कब तक होगी इसका जवाव देने में उन्होंने असमर्थता जताई।