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अपने को असुरक्षित महसुस कर रहे सेनारी के नरसंहार पीड़ित

नरसंहार के पीड़ित परिवार के लोग अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

By Edited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 02:49 AM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 02:49 AM (IST)
अपने को असुरक्षित महसुस कर रहे सेनारी के नरसंहार पीड़ित

जहानाबाद। बहुचर्चित सेनारी नरसंहार के पीड़ित परिवार के लोग अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें शासन प्रशासन से सुरक्षा की कोई उम्मीद नहीं है। कुर्था-टेकारी मुख्य मार्ग से तकरीबन 10 किलोमीटर पश्चिम सेनारी गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क है। तकरीबन 150 घरों के इस गांव में आधे से अधिक एक खास जाति के लोग रहते हैं जो अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कहते हैं जिस समय नरसंहार की यह घटना हुई थी उस समय जो सरकार थी वहीं आज भी है। उस समय की सरकार का कोई नुमाइंदा हम नरसंहार पीड़ितों की सुधी लेने भी नहीं आया था। कल इस नरसंहार की घटना का फैसला आने वाला है। यदि अभियुक्तों को कठोर सजा मिली तो हमलोगों के साथ किसी प्रकार की अनहोनी घटना भी हो सकती है। इस फैसले को लेकर पूरे गांव में दहशत का माहौल कायम हो गया है। प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। घटना के बाद गांव में पुलिस पिकेट स्थापित किया गया था ताकि नरसंहार पीड़ित लोग अपने को असुरक्षित महसूस नहीं करें। लेकिन आज से बारह साल पहले हीं पिकेट को हटा लिया गया। बुधवार को वंशी थाने की पुलिस की एक गाड़ी यहां आई थी। वे लोग यह भी जानने की कोशिश नहीं किए कि आप लोग भयभीत हैं या नहीं। सीधे गांव में घुमकर वे लोग वापस लौट गए। जो स्थिति है उसमें हमलोग अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

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सुने ग्रामीणों की व्यथा

गुरुवार को फैसला आने वाला है। सरकार तथा प्रशासन की ओर से सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं किया गया है। खेतीबारी का समय है। ऐसी स्थिति में हमलोगों को घरों से निकलना मुश्किल है।

कमलेश शर्मा

पूर्व मुखिया

गांव में दिन भर मीडिया के लोगों का आना जाना हुआ। क्या प्रशासन के लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि इतनी बड़ी घटना का फैसला आने वाला है। मेरे गांव के और परिवार के लोग मारे गए हैं जो लोग गांव में है वे भी अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

मुकेश कुमार

सुरक्षा के लिए कई बार गुहार लगाई गई लेकिन हम नरसंहार पीड़ितों को राम भरोसे छोड़ दिया गया है। सुरक्षा का तो छोड़ दें नरसंहार के एक साल बाद हीं पुलिस द्वारा हमलोगों पर कहर बरपाई गई है। दर्जनों महिलाओं की बेरहमी के साथ पिटाई की गई थी। ऐसे में हमलोग सुरक्षा की क्या बात करें।

अजय कुमार

हमारे गांव के लोग काफी असुरक्षित हैं। अब जरा देखे खटांगी पिकेट की पुलिस को हमलोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गांव के लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। सरकार तथा प्रशासन के लोगों को शीघ्र हीं सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए।

संजय शर्मा


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