वाणावर में दिख रहा दशहरा का नजारा
संवाद सहयोगी, मखदुमपुर जहानाबाद : पिछले बारह जुलाई से वाणावर में चल रहा श्रावणी मेला दशहर की याद ताजा कर दे रहा है। सिर्फ रावण बद्घ और मां दुर्गे की प्रतिमा को छोड़ दिया जाए तो यहां वो तमाम चीजें उपलब्ध हैं जो दशहरे के मेले में देखने को मिलता है। पूरा पतालगंगा दशहरे के मेले जैसा प्रतीत होता है, जहां धर्म और आस्था के साथ साथ मनोरंजन एवं पिकनिक का माहौल कायम है। मेले में चाट पकौडे़ और मिठाई की दुकान से लेकर ठंडा पेय तथा जूस, नाश्ता तथा भोजन की दुकानें सजी हैं। बच्चों और बड़ों के मनोरंजन के लिए झूले की व्यवस्था भी पूरी तरह व्यवस्थित है। बस जेब हल्की करने की जरूरत है। फिर तो पूरा दिन कैसे कट गया पता भी नहीं चलेगा। घोड़ा झूला से लेकर आसमान को छूती चरखी और कार झूला भी लगा है। जेब जितना भारी होगा झुला का साइज उतना ही बड़ा होगा। पतालगंगा में एक किनारे कई झूले लगाए गए हैं जहां बच्चों के साथ बड़ों की भी भीड़ लगी रहती है। खासकर रविवार और सोमवार को यहा ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। दरअसल रविवार और सोमवार को वाणावर काफी संख्या में लोग बाबा सिद्घेश्वरनाथ की पूजा अर्चना एवं जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। बडे़ भी इसका आनन्द लेते हैं। दूसरी ओर चाट, समोसे और जलेबी के दुकानों पर महिलाओं और बच्चों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है। समय तो अपने हिसाब से ही चलता है मगर यहा की प्राकृतिक छटा मन को इतना प्रभावित करता है कि समय का पता ही नहीं चलता।