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मुक्ति का मार्ग है मानव शरीर-स्वामी रंगरामानुजाचार्य

By Edited By: Published: Sun, 20 Apr 2014 10:58 PM (IST)Updated: Sun, 20 Apr 2014 10:58 PM (IST)
मुक्ति का मार्ग है मानव शरीर-स्वामी रंगरामानुजाचार्य

जागरण संवाददाता, जहानाबाद :

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काको प्रखंड के देवघरा गांव में श्रीमद भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ सह श्री लक्ष्मी नारायण यज्ञ के पांचवें दिन रविवार को उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री स्वामी रंगरामानुजाचार्य जी महाराज ने कहा कि चौरासी लाख प्रकार के शरीरों में मानव शरीर सर्वोत्तम है। मानव शरीर जो आत्मा को परमात्मा तक पहुंचाने का प्रधान साधन है। इसीलिए ऋषि मुनियों ने इसे मुक्ति का द्वार कहा है। मानव में यह क्षमता है कि वैदिक धर्म मार्ग का अनुशरण कर सात्विक सुख का अनुभव करते हुए परमात्मा का सानिध्य प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे भौतिक दृष्टि से राष्ट्र को समुन्नत करने के लिए राजनीति में वैसे हीं आध्यात्मिक सुख संपन्नता के लिए वैदिक धर्म नीति है। उन्होंने कहा कि त्रिकालदर्शी ऋषियों ने मानव चेतना को समुन्नत बनाने के लिए हीं वैदिक धर्मो का प्रचार प्रसार किया है। संपूर्ण विश्व का हित वैदिक धर्म में ही निहित है। वैदिक धर्म विश्व का आधार है। उन्होंने कहा कि जब लौकिक भोग प्रधान दानवों के द्वारा वैदिक धर्म क्षतिग्रस्त कर दिया जाता है और सनातन वैदिक धर्मावलंबियों के द्वारा सारे धार्मिक कृत बंद कर दिये जाते हैं वैसी स्थिति में पूरे जगत में दु‌र्व्यवस्था फैल जाती है जिसके परिणामस्वरुप दैविक संपदा वाले का जीवन अत्यंत दुखमय हो जाता है। उस समय जगन्नियंता परमपिता परमेश्वर,शौशिला, वात्सल, शौलाभ्यादि गुणों के कारण भक्तों की करुण पुकार सुनकर दिव्य धाम बैकुंठ से लीला विभूति में आकर सनातन वैदिक धर्म की मर्यादा स्थापित करते हैं। भगवान अपने आचरण और वचन इन दोनों से वैदिक धर्म की मर्यादा को बचाते हैं। इधर सुबह से लेकर दोपहर तक परायण में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालुगण यज्ञ स्थल की परिक्रमा करने में जुटे रहते हैं। समारोह के आयोजन से पूरे क्षेत्र का माहौल भक्तिमय बना हुआ है।


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