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थोड़ी सी चूक कहीं लिख न दे बर्बादी की कहानी

By Edited By: Published: Sun, 24 Apr 2011 07:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Nov 2011 12:39 AM (IST)
थोड़ी सी चूक कहीं लिख न दे बर्बादी की कहानी

निज संवाददाता,गोपालगंज : अभी पांच दिन पूर्व की ही बात है, जब हथुआ प्रखंड के बरईपट्टी गांव में खाना बनाने के बाद चूल्हे में आग उसी तरह छोड़ दिया गया। जो सुलगते-सुलगते चिंगारी बन गयी और पांच लोगों के आशियाने जल कर राख हो गए। अब इस आग में अपना सब कुछ बर्बाद कर चुके रतन बासफोड़, रंजीत बासफोड़ सहित एक अन्य व्यक्ति के सामने जीविका चलाने की समस्या खड़ी हो गयी है। ऐसे यह पहला मामला नहीं है जब लोगों की थोड़ी सी चूक उनकी बर्बादी का कारण बन गयी हो। गर्मी बढ़ने के साथ ही लोगों का आशियाना जलने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। पिछले पांच दिनों में जिले के विभिन्न इलाकों में आग से सैकड़ों आवास जल गए। और इसमें रखे गए लाखों की संपत्ति राख हो गयी। इस दौरान पचास बीघा खेतों में तैयार गेहूं की फसल भी जल कर राख हो गयी।

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गर्मी बढ़ने का आभास अब लोगों को बाहर और घर के अंदर भी होने लगी है। आग उगलता सूरज और तपती धरती। ऐसे में चल रही पछुवा हवा एक छोटी सी चिंगारी को भी शोला बनाने में कोई कसर नहीं छोड रही है। बीते 22 अप्रैल को तो आग की चपेट में आने से कुचायकोट प्रखंड का चाड़ीदुर्ग गांव पूरी तरह से बर्बाद हो गया। यहां लगी भीषण आग में महम्मद मियां, पलभारी साह, जाकिर हुसैन, अवध किशोर, इंद्रजीत पाल, विशुनदेव, हरकेश पाल, हरेन्द्र, महंथ और अमरजीत सहित डेढ़ सौ लोगों के घर जल गए। यहां भी खाना बनाते समय एक आवासीय झोपड़ी से निकली आग तेज पछुआ हवा के साथ पूरे गांव के लिए काल बन गयी। आग की चपेट में आने से एक महिला भी बुरी तरह से झुलस गयी। कुछ इसी तरह का मामला मांझा के अमैठी कला गांव में भी हुआ। चूल्हा से निकली चिंगारी ने तेज हवा का साथ पाकर महातम राम, विदेशी राम, छट्ठू राम सहित स्वर्गीय दरोगा राम के आवास को अपनी चपेट में ले लिया। ग्रामीण जब तक कुछ समझ पाते तब तक चारों आवासीय झोपड़ियां राख में मिल गयी। इसी दिन बैकुंठपुर में कितपुरा गांव में भी खाना बनाने के दौरान लगी आग से तीन आवास जल गए। बीते पांच दिनों के दौरान आग फसलों के लिए भी बर्बादी लेकर आयी। बीते 19 अप्रैल को भोरे के जोरावरपुर के चंबर में लगी आग से दस बीघे में लगी गेहूं की फसल जल कर नष्ट हो गयी। इस अगलगी में पती चौधरी, मुडाडीह, केदार चौधरी, केदार चौधरी, शंभू शुक्ल, त्रिलोकी शुक्ल, परमात्मा शुक्ल सहित राजेश चौधरी के अरमान भी झुलस गए। कुछ इसी तरह बीते 22 अप्रैल को बरौली के सरेह गांव के खेतों में लगी आग से पांच बीघा में लगी गेहूं की फसल जल गयी। ऐसे में भी अगर इस गर्मी के मौसम में सावधानी बरतने से चूके, तो एक माचिस की तिल्ली भी कब बर्बादी का कारण बन जाए, इसका अनुमान सहज लगाया जा सकता है।

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